Monday, 23 December 2024

CHOSEN COUPLETS

पत्ते मोती हथेलियों पे लिए
सुब्अ को दे रहे हैं नज़राने
*
Leaves with pearls on palm. 
Offer it to morning calm. 

झूमते फूल माँगते हैं दुआ
अब हवा आए हम को बिखराने
O wind! Now scatter us far. 
Swinging flowers hum psalm. 

नया ये साल आया है, गले मिल लें सभी से हम
गिले शिकवे मिटाएँ, गर कभी के दिल में बाक़ी हैं 
ये चादर ख़ूबसूरत याद की, फैली है जो दिल पर
कभी हम साथ थे, घूमे फिरे थे खुली गलियों में 
हैं कुछ अरमान मिल कर फिर किन्ही नन्हे फरिश्तों से
कि जिन के बाप माँ हैं दोस्त मेरे, पर वो नावाक़िफ़
कई हैं दोस्त ऐसे, जिन से बातें हो ही जाती हैं 
मगर हम रूबरू अब तक नहीं हो पाए, ये सच है
किसी को फ़ोन पर कुछ भेज देता हूँ, लिखा जो है
मुझे वो चाहते हैं, मेरे दिल में उनकी इज़्ज़त है
न जाने कब मिलूँ उनसे, न जाने कब मिलेंगे वो
मेरे मालिक ! ये दूरी अब मिटा दे वर्ष नूतन है! 
                          रवि मौन 





रवाँ अल्फाज सिमीं के, किसी झरने से बहते हैं 
किन्हीं पेड़ों के साए में बड़े आज़ाद रहते हैं 

Simmin's moving words flow from a waterfall. 
Under shade of some trees, are free after all. 

First couplet of your book transcreated by Ravi Maun. 
हम: आ'शिक़ ज़े यार-ए-ख़ुद रुख़-ए-मेहर-ओ-वफ़ा बीनद
ज़े यार-ए-ख़्वेश हैरानम न ईं दारद न आँ दारद
रूमी

 मेहर-ओ वफ़ा मिले हर इक आशिक़ यही चाहे 
 मैं अपने यार से हैराँ, न उसके पास ये न वो

Transcreated by Ravi Maun 

हर पत्ती बोझल हो के गिरी सब शाख़ें झुक कर टूट गईं 
उस बारिश ही से फ़स्ल उजड़ी जिस बारिश से तय्यार हुई 
महशर बदायूनी

Rain heavy leaves dropped , bent branches broke in spell. 
The rain that had nurtured this crop, destroyed it as well. 



यही काँटे तो कुछ खुद्दार हैं सहन-ए-गुलिस्ताँ में 
जो शबनम के लिए दामन को फैलाया नहीं करते 
*
Thorns in garden have self respect maintained by few. 
Who don't stretch their garb to collect drops of dew. 

प्रेम की धार में ज्ञान का इक दिया ! देखें कब तक जले, देखें कैसा लगे? 
आज ऊधव को भेजा वहाँ श्याम ने, जिन के तन - मन में केशव समाया हुआ! 
रवि मौन 

तूर ने जल के कहा गश में पड़े हो मूसा 
जल्वा-ए-यार का क्या ख़ाक तमाशा देखा
**
Burnt Toor out of resentment , to unconscious Mosses said. 
What a look at Him have you had, lying on an ash bed! 

(While transcreating I have tried to maintain double meanings of phrases "jal ke kaha and khak tamasha dekha".) 




ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है
वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है
अज्ञात 

It's a world ritual, that is done.
When is anniversary of the sun? 

सभी मुश्किलों से लड़ने का मार्ग यही आसान।
जीवन भर का साथ तुम्हारा, प्यारी सी मुस्कान। 
रवि मौन 
*
Easy way to fight with problems all the while, 
Are your life long company 'n a lovely smile. 

क़दम क़दम पे दोनों जुर्म-ए-इश्क़ में शरीक हैं 
नज़र को बे-ख़ता कहूँ कि दिल को बे-ख़ता कहूँ 
फ़िगार उन्नावी

Step wise in the crime of love, both are taking part. 
Whether eyes are innocent, or blameless is heart? 

Transcreated by Ravi Maun 



धुंध माज़ी की वो आब-ए-चश्म से धोने लगा 
आइने में देख कर मुझ को कोई रोने लगा 
रतन कुमार रतन 

He started washing with tears the dust of past.
 Looking at me in mirror, someone cried at last. 

गो मैं रहा रहीने-सितम-हाय रोज़गार 
लेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा
ग़ालिब 
*
Though endebted to agony, work had brought. 
I have never been oblivious of your thought. 

मोहब्बत अब मोहब्बत हो चली है
तुझे कुछ भूलता सा जा रहा हूँ 
फ़िराक़ गोरखपुरी 
*
Love is now becoming love to it's full exntent. 
I have started forgetting you to some extent. 

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 
**
Since long, your memories didn't even show. 
That I have  forgotten you, it's not even so. 

शुऊर-ए-इश्क़ की तकमील हो चुकी शायद
न भूलता है कोई अब न याद आता है
**
Probably thought of love is complete too. 
Now I neither remember nor forget you. 

इस दौर में ज़िंदगी बशर की
बीमार की रात हो गई है
*
The human life in this age ! 
Sick has reached night stage. 

हज़ारों ख़िज्र पैदा कर चुकी है नस्ल आदम की
ये सब तस्लीम लेकिन आदमी अब तक भटकता है

Human race has created thousand Khijras till now. 
It's agreed but the man wanders even now. 

आए थे हँसते-खेलते मयख़ाने में 'फ़िराक़' 
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये

'Firaq' had come in tavern in playful mood. 
He has drunk and now is in serious mood. 
(He is drunk and now has started to brood.) 

हज़ार शुक्र कि मायूस कर दिया तूने 
ये और बात कि तुझसे बड़ी उम्मीदें थीं

A thousand thanks, you have turned desperate. 
Well, from you, I had many hopes O mate! 

वो एक मानी-ए-बेलफ़्ज़, एक राज़े-हयात
कुछ अपने दिल से सुना, कुछ तिरी नज़र ने कहा
फ़िराक़ गोरखपुरी 
*
That secret of life is a wordless meaning part.
Some told by your eyes, some heard 
by heart. 

ज़रा विसाल के बाद आईना तो देख ऐ दोस्त 
तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Look at your self in the mirror after meeting O mate! 
Beauty of your maidenhood is in a better state. 

Transcreated by Ravi Maun 
 





ये तस्वीरें ज़ाहिर तो बहुत ख़ामोश रहती हैं 
मगर अहल-ए-नज़र देखें तो दिल की बात कहती हैं
*
These murals always appear to be mum. 
For gifted observers, have a tune to hum. 

बिखेर दे जो वो ज़ुल्फ़ों को अपने मुखड़े पर
तो मारे शर्म के आई हुई घटा फिर जाय
मुसहफ़ी

If she scatters the tress on her face. 
Out of shame, dark clouds 'll retrace. 

ठहर के पाँव के काँटे निकालने वाले 
ये होश है तो जुनूँ कामयाब क्या होगा 
राज़ रामपुरी
*
Stopping to take out thorns of feet ! 
How will sense and lunacy meet? 

कुफ़्र रीत क्या हौर इस्लाम रीत
हर इक रीत में इश्क़ का राज़ है
सुल्तान मोहम्मद क़ुतुब शाह

Whether it is Atheism or Islamic way. 
Everywhere secret of love has a say. 

मिलना तुमने का ग़ैर से कोई झूठ कोई सचमुच कहे
किस-किस का मुँह मूँदूँ सनम कोई कुछ कहे कोई कुछ कहे
शाह कुली ख़ां शाही
*
Your meeting with my rival, some say it's false, some true. 
O love! How can I shut all mouths? Some hold this, some that view? 

दिल की बस्ती भी शहर-ए-दिल्ली है
जो भी गुज़रा है, उस ने लूटा है ! 
बशीर बद्र 
*
My heart and Delhi city are similarly routed. 
Who ever has passed through, cruelly looted

अच्छा है दिल के पास रहे पासबान - ए-अक़्ल 
लेकिन कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
इक़बाल 
*
It's good that brain stands guard to heart. 
But at times, let these be standing apart. 

दिल तोड़ के जाने वाले सुन दो और भी रिश्ते बाक़ी हैं 
इक साँस की डोरी अटकी है इक प्यार का बंधन रहता है 
क़यूम नज़र
*
Although you have broken the heart but two relations yet remain. 
The chain of breath is yet intact, there still remains a love domain. 

मैंने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई 
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में 
आलम ख़ुर्शीद 

I had seen in childhood a dream incomplete . 
Till today, I am busy making it complete. 

दीदनी है शिकस्तगी दिल की 
क्या इमारत ग़मों ने ढाई है ! 
मीर तक़ी मीर 
*
Majestic is show of breaking the heart. 
Razing this house by griefs is an art ! 

चमन पे ग़ारत-ए-गुलचीं पे जाने क्या गुज़री
क़फ़स से आज सबा बेक़रार गुज़री है

I know not what ruin has the gardener inflicted. 
Today, through prison, breeze has distress depicted. 

ज़िंदगी जब अज़ाब होती है 
आशिक़ी कामयाब होती है 
दुष्यंत कुमार

When life is in distress. 
Then love is a success. 

फ़ितरत-ए-आदम में थी अल्लाह क्या नश्वोनुमा
एक मुट्ठी ख़ाक यूँ फैली कि दुनिया हो गई 
साक़िब लखनवी 

O God! Nature of Adam had unique way to grow. 
A fistful of dust covered the world with it's flow. 

हमनशीं ! कुंज-ए-क़फ़स में मुतमइन हो कर न रह
वर्ना हर्फ़ आएगा तेरी जुर'अत-ए-परवाज़ पर
माहिर-उल-क़ादरी
*
O mate! Behind bars, don't be content' n stay. 
Or your courage to fly out will lose it's say. 

मुतमइन इंसान इस दुनिया में हो सकता नहीं 
मुतमइन होना है कुछ दिन दिल को बहलाने का नाम 

 No one in this world can always be content. 
To be content is cajoling heart to an extent. 

हम आ भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम 
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता 
अकबर इलाहाबादी 
*
I get a bad name, even heaving a sigh. 
She murders, but no one blinks an eye. 

इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद 
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया 
जोश मलीहाबादी 
*
I don't cry, why did you ruin my heart? 
My trouble is, you took so long to start. 

मेरी बर्बादियों का हमनशीनो ! 
तुम्हें क्या, ख़ुद मुझे भी ग़म नहीं है।
मजाज़ लखनवी 
*
O colleagues! About my ruined state. 
Why you, even I amn't troubled O mate. 

क्या पूछता है तू मेरी बर्बादियों का हाल? 
थोड़ी सी ख़ाक ले के हवा में उड़ा के देख। 
*
About my ruined condition, why do you ask?
Take a pinch of dust, let wind do the task. 

तुझ को बर्बाद तो हर हाल में होना था 'ख़ुमार '
नाज़ कर नाज़ कि उस ने तुझे बर्बाद किया 
ख़ुमार बाराबंकवी 
*
O 'Khumar'! You were to be ruined any way. 
Well, she has ruined you, feel proud to say ! 

न दिल को है सबात न हम को है ऐतबार 
किस बात पर चमन हवस-ए-रंग-ओ-बू करें

Neither heart is stable, nor I have the belief 
How can gardens lust for color 'n fragrance fief? 

काबा जाने से नहीं कुछ शैख़ मुझको इतना शौक़ 
चाल वो बतला कि मैं दिल में किसी के घर करूँ 

O priest! For me, going to Kaaba is not 
a move so smart. 
Tell a move with which I can be seated in some one's heart. 

पहले आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

I 'd laugh on the state of my heart. 
On nothing do I laugh anymore. 

काबा कि मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती। 

What a face for Kaaba O' Ghalib '! 
You are not ashamed, as before. 





तुम्हारी याद में डूबे कहाँ - कहाँ से गए
हम अपने आप से बिछड़े कि सब जहाँ से गए
 सादिक़ नवाब सहर


वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से 
मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता 
वसीम बरेलवी 

He was telling lies with a fine etiquette. 
What to do, if not believe him straight ? 

क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो 
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो 
मियाँ दाद ख़ाँ सय्याद 

Qais is alone in the wild, let me go. 
Two crazies will have a lovely show. 

आँ बुत कि दिलम ज़ बहरे ऊ ज़ार शुदा अस्त
ऊ जा-ए-दिगर बग़म गिरफ़्तार शुदा अस्त
मन   दर-तलबे-इलाजे-ख़ुद  चूँ  कोशम
चूँ आँ कि तबीबे-मास्त बीमार शुदा अस्त
उमर ख़य्याम

वो मूरत जिसके लिए दिल ज़ार-ज़ार है
वो किसी दूजी जा  ग़म में गिरफ़्तार है
 अपने इलाज की मैं तमन्ना ही क्यूँ करूँ 
मेरा हकीम जो है, वो तो ख़ुद बीमार है

 ये जो नफ़रत के शरारे हैं हमारे दिल में 
आँसुओं से ही कभी इनको बुझा कर देखें
प्रमोद शाह नफ़ीस

These embers of hate 
In our hearts till date. 
Let's douse with tears, 
At times my dears! 


चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
फ़रहत अहसास 
*
River is troubled and moon is surprised as such. 
Whose shadow is in water, it's glowing so much ? 

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
फ़रहत अहसास 

I 'll rise tonight, so said that moon. 
Since eve' I am waiting, it isn't soon. 

किस क़दर नादिम हुआ हूँ मैं बुरा कह कर उसे 
क्या ख़बर थी जाते जाते वो दुआ दे जाएगा 
मोहसिन भोपाली 
*
I called him bad and now repent, it
 was due. 
That he 'll pray for me while leaving, who knew?

तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ 
तिरे लहू से भी दामन है दाग़दार मिरा 
अकबर मासूम 

I am ashamed of raping your pride. 
Your blood has soiled my hem side. 

मैं सच से गुरेज़ाँ हूँ और झूट पे नादिम हूँ 
वो सच पे पशेमाँ है और झूट पर आमादा 
मुस्तफ़ा शहाब

I avoid truth and am ashamed of lie. 
He repents truth 'n is head bent to lie. 

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
अदीम हाशमी 
*
Distances will be such, how could I determine. 
He was seated before me and wasn't mine. 

झूमते फूल माँगते हैं दुआ
अब हवा आए हम को बिखराने
O wind! Now scatter us far. 
Swinging flowers hum psalm. 

रिदाय लाला-ओ-गुल पर्द-ए-मह-ओ-अंजुम
जहाँ - जहाँ वो छुपे हैं अजीब आलम है
*
Sheet of daffodils, flowers, curtain of stars and moon. 
Wherever He is hidden, there is grandeur in bloom. 

हर इक शय में तुम मुस्कुराते हो गोया
हज़ारों हिजाबों में ये बेहिजाबी
*
As if you are smiling in everything. 
Face seen behind all covers that kling. 

सब को है तेरे जल्वा-ए-रंगीं की जुस्तजू
 ये कौन सोचता है कि ताब-ए-नज़र नहीं 
*
Every one wants to look at your colourful face. 
Who thinks, he does not possess this grace. 

 वो अपने दर के फ़क़ीरों से पूछते भी नहीं 
कि तुम लगाए हुए किस की आस बैठे हो
तअश्शुक़
*
She doesn't even ask the beggars at door. 
What is your wish, to whom you adore 

उन को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मुझको ग़ुस्से पे प्यार आता है
जिगर मुरादाबादी 
*
She gets angry on love. 
When she is angry, I love. 

कार फर्मा है फ़क़त हुस्न का नैरंग-ए-कमाल
चाहे वो शम्अ बने चाहे परवाना बने 
*
It's beauty that works, whatever the name. 
Whether it is moth or the candle flame. 

हम जिस के हो गये वो हमारा न हो सका
यूँ भी हुआ हिसाब बराबर कभी-कभी 
आल-ए-अहमद सुरूर
*
I became her's, she wasn't in my store. 
That's how sometimes one settles score. 

दुनिया तो चाहती है युँही फ़ासले रहें
दुनिया के मशवरों पे न जा उस गली में चल
निदा फ़ाज़ली
*
World wants distance between us to remain. 
Don't follow them, just get into her lane. 

अपने होने का कुछ अहसास न होने से हुआ। 
ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ 
मुसव्विर सब्ज़वारी
*
I got conscious of the self, having lost that state. 
I met myself when I had lost that person O mate! 

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं 
फिर भी लोग खुदाओं जैसी बातें करते हैं 
इफ़्तिख़ार आरिफ़
*
They watch being shattered, unable to do a thing. 
Yet people boast of doing many a Godly thing. 

कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त गुज़रती है
 आपस में कुछ कह कर हँसते हैं जाने पहचाने लोग 
राही मासूम रज़ा
*
Who knows how h is it uard befalls that crazy man. 
When talk and smile men of their own clan. 

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में 
रुक कर अपना ही इंतजार किया 
गुलज़ार 
*
Quite often, while on your route. 
I have waited for myself O cute ! 

तस्वीर के दो रुख़ हैं जाँ और ग़म-ए-जानाँ
इक नक़्श छुपाना है इक नक़्श दिखाना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
Beloved and her separation are facets of one portrait. 
One shows it concealed, while other reveals it straight. 

वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं
मैं क्या कर रहा हूँ वो क्या कर रहे हैं
हफ़ीज़ जालंधरी 
*
I am maintaining faith, get torture in exchange. 
What am I doing, watch what's her range? 

 उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो 
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो 
अमीर मीनाई
*
Being faithful or faithless is equal in love art. 
Every thing is a pleasure if there's joy
 at heart. 

जफ़ा जो इश्क़ में होती है वो जफ़ा ही नहीं
सितम न हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं 
*
Torture in love is not a torture O mate! 
There's no joy in love, sans torture state

कुछ और इंतिज़ार कि फिर वस्ल-वस्ल है
क़िस्मत ने तेरे साथ ज़रा देर की कि बस

Just wait a little, then there's meeting 'n mating. 
The fortune has kept you two, too far waiting. 

साहिल के तलबगार ये पहले से जान लें
दरिया-ए-मोहब्बत में किनारे नहीं होते
*
Let them know before hand, who look for shore. 
This is the stream of love, where there's no shore. 

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं 
नाख़ुदा जिन का नहीं होता ख़ुदा होता है
अमीर मीनाई 
*
All boats ultimately reach the shore. 
Those who miss sailor have God in store. 

सरकशी ख़ुदकुशी पे ख़त्म हुई 
एक रस्सी थी जल गई शायद 

The rebellion ended in suicide. 
It was a cord, probably burnt aside. 

ये लम्हा लम्हा ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश का हासिल है 
कि लहज़ा लहज़ा अपने आप ही में मर रहा हूँ मैं 
मुशफ़िक़ ख़्वाजा

It's result of moment like wish to live on. 
That slowly I am dying with in my own. 

दिन तो फिर दिन है गुज़र जाता है
रात कटती है बड़ी मुश्किल से
नासिर कासगंजई
*
Day gets spent, come what may.
Night is difficult, prefers to stay. 

Day is spent, it's daylight. 
Hard to spend is the night. 

ग़ुस्सा क़ातिल का न बढ़ता है न कम होता है 
एक सर है कि वो हर रोज़ क़लम होता है 
मंज़र लखनवी 

Murderer's anger neither waxes nor gets waned. 
There is one heart which is every day slained. 

दरिया से इख़्तिलाफ़ का अंजाम सोच लो
लहरों के साथ - साथ बहो तुम नशे में हो
बशीर बद्र 
*
Going against the stream, feel like a chunk. 
Float with the waves man, you are drunk. 

बेहद शरीफ़ लोगों से कुछ फ़ासला रखो
पी लो मगर कभी न कहो तुम नशे में हो

Maintain distance with very cultured people. 
May drink, but never say you are drunk. 

काग़ज़ का ये लिबास चराग़ों के शहर में ! 
थोड़ा सम्भल-सम्भल के चलो तुम नशे में हो
*
This papery apparel in a city of lamps ! 
Step clearly with care, as you are drunk. 

दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
बशीर बद्र 

Old Delhi and my heart are similarly routed. 
Whoever has passed through cruelly looted. 

बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से 
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
अमीर मीनाई
*
Change of company didn't alter the quality of those. 
Even in garden, the thorn couldn't become a rose. 

जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई 
वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ 
मोहसिन ज़ैदी
*
Just as two nations are divided by a boundary line. 
Time has drawn between both of us a boundary line. 

तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
हमारे हाथ में कोई लकीर ऐसी थी

All routes to your home were cut across. 
Some line in my hand was carved so gross. 

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है 
*
As an ember in benzoin lamp kept tight. 
Your memory burns in my heart all night. 

तू एक हाथ में ले आग एक में पानी 
तमाम रात हवा में जला बुझा मुझको

With fire in the left hand and water in right. 
In air, you burn 'n douse me whole night. 

*लड़कियों के दुःख अजब होते हैं सुख उस से अजीब 
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ - साथ
परवीन शाकिर 
*
Troubles of girls are strange and stranger their pleasure. 
Even while laughing, koel gets soaked in the measure. 

ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह
परवीन शाकिर 

My oozing wounds and roses in your home garden. 
Are impossible to count, keep coming so often. 

उस एक मोड़ पर जी भर के रोए हम दोनों
वहाँ से तेरे मेरे रास्ते बदलते हैं 

On that curve both of us wailed,, unfurld. 
From there two roads have gone to the world. 

आँखों से उतरे आँसू दिल में आए
रुख़ बदला है उल्टा अब दरियाओं ने 

Tears descended from eyes to heart. 
Streams have reversed it's flow to start. 

धूप की आग में हँसने की अदा क्या जाने 
जंगली फूल नहीं आपके गुलज़ारों में 
बशीर बद्र 
*
Style to smile in the fire of sun is unknown 
Wild flowers are missing in gardens you own. 

कहानियों का मुक़द्दर वही अधूरापन 
कहीं फ़िराक़ नहीं है कहीं विसाल नहीं 
बशीर बद्र 
*
Stories are destined to be incomplete. 
Either departure isn't in  or missing is meet. 

तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री 
कि आशियाँ किसी शाख़-ए-चमन पे बार न हो
*
Life long I had cared for it so big. 
My nest should'nt burden any garden twig

मिरी निगाह किसी दूसरे को तकने लगी 
वो लड़की बैठ गई जब मिरे बराबर में 

My eyes located another one to see. 
When that girl  got seated near me. 

जो ज़हर हलाहल है अमृत भी वही लेकिन 
मालूम नहीं तुझ को अंदाज़ ही पीने के
*
What's poison is also nectar immune. 
But you don't know style to sip it in tune

न कोई वादा, न कोई यक़ीं, न कोई उमीद 
मगर हमें तो तिरा इन्तज़ार करना था
*
No promise, no belief, nor any hope. 
But I had to wait for you and cope. 

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त 
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में 
*
Somehow I could spend days of life as yet. 
Whether it was to memorise you or to forget. 

FIRAQ GORAKHPURI 

उसे सैय्याद ने कुछ गुल ने कुछ बुलबुल ने कुछ समझा
चमन में कितनी मानीख़ेज़ थी इक ख़ामुशी मेरी
जिगर मुरादाबादी 
*
It was differently taken  by captor, flower and nightingale. 
My silence in the garden had for
 each a vivid tale. 

दोस्तों की दोस्ती में कुछ सितम ऐसे सहे
दुश्मनों की दुश्मनी का भी गिला जाता रहा
*
Some suffering from friends has hurt so much. 
It erased traces of pain from foes as such. 

पास था नाकामी-ए-सय्याद का ऐ हमसफ़ीर
वर्ना मैं और उड़ के आता चन्द दानों के लिए 
*
The thought of failure of my captor remains. 
Or else I won't have dived for petty grains. 

दूर बजती थी रात शहनाई 
रोया पी कर बहुत शराब कोई 
जावेद अख्तर 
*
At night clarinet tunes drifted along. 
He drank a lot and wailed for long. 

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं 
मह्व-ए-हैरत हूँ ये दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
इक़बाल 
*
Whatever these eyes can see, the lips just fail to tell. 
Changes that world goes through, leave me in a spell. 

अपनी हस्ती का सफ़ीना सू-ए-तूफ़ाँ कर लें
हम मोहब्बत को शरीक-ए-ग़म-ए-इंसाँ कर लें
मजाज़ लखनवी 
*
Let's steer the ship of our life towards storm. 
Include love and human sorrow within one norm. Y6

दिल संग-ए-मलामत का हर-चंद निशाना है 
दिल फिर भी मिरा दिल है दिल ही तो ज़माना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
 Though my heart is targeted by stones of blame. 
Yet my heart is mine, with it is the world game. 

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
मेरी तरह ख़ुदा का भी ख़ाना ख़राब है
अब्दुल हमीद अदम 

It pleases me to see a desolate mosque as I roam. 
State of house of Lord is no different from my home. 

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर 
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
ग़ालिब 
*
O priest! Inside mosque, let me sit and drink. 
Or mention a place with which God has no link. 

दिल गया रौनक़-ए-ह्यात गई
ग़म गया सारी कायनात गई
जिगर मुरादाबादी 

Love goes, all pleasures of life lose role
Without pain, universe is lost as a whole. 

रौ में है रख़्श-ए-उम्र कहाँ देखिए थमे
ने हाथ बाग पर है न पा है रिकाब में
ग़ालिब 
*
Horse of life is running, none knows where it stands. 
Feet are out of stirrups 'n reins are 
not in hands. 

ख़ुश्बू को तितलियों के परों में छुपाऊँगा
फिर नीले-नीले आस्माँ में लौट जाऊँगा 
बशीर बद्र *
*
Hiding fragrance in butterfly wings O pal. 
Back to blue sky I' ll return after all. 

इक पल की ज़िंदगी मुझे बेहद अज़ीज़ है
पलकों पे झिलमिलाऊँगा और टूट जाऊँगा 
*
Life of a moment to me is so dear 
I 'll dazzle on eyelashes and then fall. 

दीवाना वार मुझ से लिपट जाएगी हवा
मैं सुर्ख़-सुर्ख़ फूलों में जब मुस्कराऊँगा

When I' ll smile in bright red flowers. 
Madly the wind 'll embrace after all.

 दिल संग-ए-मलामत का हर-चंद निशाना है 
दिल फिर भी मिरा दिल है दिल ही तो ज़माना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
 Though my heart is targeted by stones of blame. 
Yet my heart is mine, with it is the world game. 

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
मेरी तरह ख़ुदा का भी ख़ाना ख़राब है
अब्दुल हमीद अदम 

It pleases me to see a desolate mosque as I roam. 
State of house of Lord is no different from my home. 

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर 
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
ग़ालिब 
*
O priest! Inside mosque, let me sit and drink. 
Or mention a place with which God has no link. 

दिल गया रौनक़-ए-ह्यात गई
ग़म गया सारी कायनात गई
जिगर मुरादाबादी 

Love goes, all pleasures of life lose role
Without pain, universe is lost as a whole. 

रौ में है रख़्श-ए-उम्र कहाँ देखिए थमे
ने हाथ बाग पर है न पा है रिकाब में
ग़ालिब 
*
Horse of life is running, none knows where it stands. 
Feet are out of stirrups 'n reins are 
not in hands. 

ख़ुश्बू को तितलियों के परों में छुपाऊँगा
फिर नीले-नीले आस्माँ में लौट जाऊँगा 
बशीर बद्र 
*
Hiding fragrance in butterfly wings O pal. 
Back to blue sky I' ll return after all. 

इक पल की ज़िंदगी मुझे बेहद अज़ीज़ है
पलकों पे झिलमिलाऊँगा और टूट जाऊँगा 
*
Life of a moment to me is so dear 
I 'll dazzle on eyelashes and then fall. 

दीवाना वार मुझ से लिपट जाएगी हवा
मैं सुर्ख़-सुर्ख़ फूलों में जब मुस्कराऊँगा

When I' ll smile in bright red flowers. 
Madly the wind 'll embrace after all. 

दीनार-ए-सुर्ख़ बरसेंगे आँगन में सारी रात
मैं ख़्वाब के शजर की वो शाखें हिलाऊँगा

Golden dinaars will rain in courtyard. 
I' ll shake branches of dream tree after all. 

जाए क्यों कर बाग़ से वो क़ैदी-ए-ज़ीन्दान-ए-इश्क़
उल्फ़त-ए-गुल हो गई ज़ंजीर-ए-पा-ए-अन्दलीब
रिन्द 

How can a prisoner of love for garden fly out of jail? 
Love for flowers is now a chain on feet of nightingale. 

वाइज़-ओ-साक़ी में ज़िद है बादाकश चक्कर में है। 
तौबा लब पर और लब डूबा हुआ साग़र में है 

Tiff in priest 'n bar-maid has left drunkard in a fix. 
There's penance on his lips dipped
 in a drink-mix. 

आवारगी से ख़ुश हूँ मैं इतना कि बाद-ए-मर्ग
हर ज़र्रा मेरी ख़ाक का होगा हवा-परस्त
सौदा

I am a happy vagabond, after death as it must. 
With wind 'd love to loiter in every speck of dust. 

उन का ज़िक, उन की तमन्ना, उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आजकल

Her talks, desire and memories are prime. 
How precious these days is my time ! 

गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़ 
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं 
जिगर मुरादाबादी 
*
I love the garden, not flowers alone. 
Living with thorns, I don't bemoan. 

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
*
I am just passing life without you. 
As if committing a crime unknown. 

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है 
ग़ालिब 
*
There's a glow on my face, when she is in view. 
I am no longer sick, she holds  that view. 

वो जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने 
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
*
 The eyes of calendar have witnessed such torture. 
For fault of a few moments, centuries had to suffer. 

बयान-ए-कैफ़-ए-मय-ए-इश्क़ हो नहीं सकता
कि दायरे अभी महदूद हैं ज़बानों के
बेताब अज़ीमाबादी 
*
Pleasure of wine of love just can't be defined. 
The boundaries of languages are very confined. 

शिकस्त-ओ-फ़त्ह नसीबों से है वले ऐ 'मीर' 
मुक़ाबला तो दिल-ए-नातवाँ ने ख़ूब किया 
मीर तक़ी मीर 
*
Victory or defeat depends on fate. 
The weak-hearted faught a lot O mate.

जाए क्यों कर बाग़ से वो क़ैदी-ए-ज़िन्दान-ए-इश्क़
उल्फ़त-ए-गुल हो गई ज़ंजीर-ए-पा-ए-अन्दलीब
रिन्द 

How can love-caged lover leave garden and fly? 
Love for flowers has chained nightingale to a tie. 

 मुसाफ़िर हो तुम भी मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
बशीर बद्र

 You are a passenger and so am I. 
On some intersection, we shall tie



































































Monday, 16 December 2024

ताज महल. साहिर लुधियानवी

ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

Taj may be a promise of love for you
This valley of colours you may regard too.
My beloved! Meet me somewhere else.

बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या म'अनी
सब्त जिस राह पे हों सितवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या म'अनी
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

In this imperial gathering, poor have no place. 
All the way are imperial imprints to trace. 
How can loving souls ever find some space? 
My beloved! Meet me somewhere else 

मेरी महबूब! पस-ए-पर्दा--ए-तशहीर-ए-वफ़ा
तूने सितवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली
अपने तारीक मकानों को तो देखा होता
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

My love! Bebind curtain of exhibited loyalty 
Should have noticed imperial stamps, O you ! 
Lured by the tombs of dead emperors here
You should have seen our dark homes too. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि जज़्बे न थे सादिक़ उन के
लेकिन उन के लिए तशहीर का सामान नहीं 
क्यों कि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

 Countless people have loved in the world. 
Who claims their feelings were not pure? 
But they lacked the material to show off. 
Because like us, they  were poor for sure. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

ये इमारात-ओ-मक़ाबिर ये फ़सीलें ये हिसार 
मुतलक़-उल-हुक्म शहन्शाहों की अज़्मत के सुतूँ
सीना-ए-दहर के नासूर हैं कोहना नासूर
इन में शामिल है तिरे और मिरे अजदाद का ख़ूँ
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These tomb buildings, boundaries of fort. 
Pillars of dictatorial glory which report. 
 Wounds, festering wounds on chest of time! 
With blood of our ancestors mingled sublime. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

मेरी महबूब! उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है इसे शक्ल-ए-जमील
उन के प्यारों के मक़ाबिर रहे बे-नाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने कन्दील
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

O my beloved! They must have loved too. 
Whose craft gave a thing of beauty to you. 
Graves of their loved ones are unknown. 
None has  ever kindled a candle there on. 
My beloved! Meet me somewhere else 

ये चमनज़ार ये जमना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार ये महराब ये ताक़
इक शहन्शाह ने दौलत का सहारा लेकर 
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These gardens, palaces on Jamuna bank. 
These carved walls, minerettes, the flank. 
Supported by money an emperor had done. 
Humiliated love of us poor, made public fun. 
My beloved! Meet me somewhere else. 







Friday, 13 December 2024

RAVI MAUN.. GHAZAL. DUUR SE AATI SADAA DETI HAI DASTAK DIL PAR....

दूर से आती सदा देती है दस्तक दिल पर
याद आते हैं मुझे झूले ठिठोली वो शजर

आसमाँ ऊँचा बहुत गहरा समंदर इतना
दोनों यकरंग ही हैं इसलिए हैरान बशर

इतना शर्मिंदा हूँ इंसान की करतूतों से
कैसे पहचानूँगा शैतान अगर आए नज़र 

यूँ तो इक उम्र मिरी बीती है क़स्बों में 'मौन'
कैसे भूलूँगा भला गाँव की सुनसान डगर? 

रवि मौन... ग़ज़ल ...ज़िंदगी तुझ से बिछड़ के भी तो गुज़री है मगर....

ज़िन्दगी तुझ से बिछड़ के भी तो गुज़री है मगर
किस को समझाऊँ कि ये कैसे कटा मेरा सफ़र

दूर से आती सदा देती है दस्तक दिल पर
याद आते हैं मुझे झूले, ठिठौली, वो शजर

आसमाँ ऊँचा बहुत, गहरा समन्दर इतना
दोनों यकरंग ही हैं, इसलिए हैरान बशर

इतना शर्मिंदा हूँ इंसान की करतूतों पर
कैसे पहचानूँगा, शैतान अगर आया नज़र

यूँ तो इक उम्र मेरी बीती है क़स्बों में 'मौन'
 कैसे भूलूँगा भला गाँव की सुनसान डगर 

Tuesday, 10 December 2024

BASHIR BADR... COUPLETS

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

टैग्ज़ : इश्क़ और 7 अन्य
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
टैग्ज़ : आरज़ू और 5 अन्य

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

टैग्ज़ : इश्क़ और 5 अन्य

ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मी
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
टैग्ज़ : ज़िंदगी और 1 अन्य

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता

टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 1 अन्य
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
टैग्ज़ : अम्न और 5 अन्य

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
टैग्ज़ : आदमी और 2 अन्य

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 2 अन्य
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
टैग : दिल

ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य

इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 2 अन्य

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
टैग्ज़ : उदासी और 2 अन्य

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा

टैग्ज़ : इश्क़ और 1 अन्य
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
टैग : हुस्न

पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
टैग्ज़ : घमंड और 3 अन्य

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में

टैग : फ़साद
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
टैग्ज़ : ग़म और 2 अन्य

इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं

टैग्ज़ : आदमी और 1 अन्य
वो चेहरा किताबी रहा सामने

बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

टैग : बचपन
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
टैग्ज़ : दुनिया और 2 अन्य

कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता

टैग्ज़ : आँख और 1 अन्य
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
टैग्ज़ : रोमांटिक और 1 अन्य

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

टैग्ज़ : इंसान और 1 अन्य
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
टैग्ज़ : अम्न और 3 अन्य

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे

टैग्ज़ : दुशमनी और 1 अन्य
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिजक गई
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
टैग्ज़ : दरिया और 2 अन्य

अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे

ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे

टैग्ज़ : एहसास और 1 अन्य
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं

महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
टैग्ज़ : आसमान और 2 अन्य

न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

टैग्ज़ : नशा और 1 अन्य
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
टैग्ज़ : मानसिक स्वास्थ्य और 1 अन्य

बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
मुझे पता चला वो कितनी ख़ूबसूरत है

टैग्ज़ : महबूब और 1 अन्य
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
टैग्ज़ : दिल और 1 अन्य

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है

टैग्ज़ : ज़िंदगी और 2 अन्य
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला
जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं

टैग्ज़: औरत और 1 अन्य
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ
टैग्ज़: आँख और 3 अन्य

काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

टैग: किताब
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल ब'अद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है
टैग्ज़: दोस्त और 2 अन्य

गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर
उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा

टैग: मौत
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
टैग: मंज़िल

कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है

टैग: क़िस्मत
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

उस की आँखों को ग़ौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं

टैग: आँख
मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ
टैग: दुश्मन

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया

मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है

टैग: बेकसी
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
छत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो
टैग: महबूब

तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा

टैग्ज़: विदाई और 1 अन्य
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते
टैग्ज़: घर और 1 अन्य

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला

टैग: फ़ासला
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ
टैग्ज़: आवाज़ और 1 अन्य

ये एक पेड़ है आ इस से मिल के रो लें हम
यहाँ से तेरे मिरे रास्ते बदलते हैं

टैग: विदाई
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे
टैग्ज़: इजाज़त और 2 अन्य

तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली
मिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई

टैग्ज़: आरज़ू और 1 अन्य
तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में हादसा देख कर
टैग्ज़: फ़साद और 1 अन्य

मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

टैग: शाम
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है

वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
टैग्ज़: आवाज़ और 1 अन्य

रात का इंतिज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता

हम दिल्ली भी हो आए हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली तेरी गली है

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ
उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है

टैग: मौत
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी

किराए के घर थे बदलते रहे
टैग्ज़: दुशमनी और 2 अन्य

फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

टैग्ज़: ज़ुल्फ़ और 1 अन्य
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे

इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा न था
टैग: ख़ुदा

उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बअ'द मिरी आँखों में आँसू आए

नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे

इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते

तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाब
डॉलर में यूँ नचाएगी इक्कीसवीं सदी

अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके

कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे

इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी

कोई आहट न हो दर पर मिरे जब तू आए
टैग्ज़: आहट और 3 अन्य

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया

तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
टैग: ज़िंदगी

यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते

टैग: दर्द
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे

उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे
टैग: दुआ

मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए

वो इत्र-दान सा लहजा मिरे बुज़ुर्गों का
रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू

टैग: उर्दू
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना

बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा

परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए
टैग: परिंदा

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

टैग: मुसाफ़िर
इक दीवार पे चाँद टिका था

मैं ये समझा तुम बैठे हो
टैग: चाँद

हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है
हम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है

अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते

टैग: दोस्त
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो

मुझे एक रात नवाज़ दे मगर इस के बाद सहर न हो
टैग्ज़: इश्क़ और 3 अन्य

वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मिरी दुआ में असर न हो

टैग: दुआ
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी

ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे
टैग्ज़: आँख और 1 अन्य

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे

टैग्ज़: रौशनी और 1 अन्य
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से

कहीं भी जाऊँ मिरे साथ साथ चलते हैं
मुझ से क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिए

कभी सोने कभी चाँदी के क़लम आते हैं
टैग: सियासत

फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी

टैग: दुनिया
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे

रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे
इजाज़त हो तो मैं इक झूट बोलूँ

मुझे दुनिया से नफ़रत हो गई है
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ

जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो
टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य

मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
बिखर गया हूँ तो अब रेत से उठाए मुझे

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा

जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
टैग्ज़: इश्क़ और 3 अन्य

बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
कोई आँसू गिरा था याद होगा

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा

लिखते लिखते तिरे हाथ थक जाएँगे
मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई

इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

वो इंतिज़ार की चौखट पे सो गया होगा
किसी से वक़्त तो पूछें कि क्या बजा होगा

टैग: इंतिज़ार
वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था

बिछड़ गया तो ब-ज़ाहिर कोई मलाल नहीं
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता

टैग: शेर
बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा

ख़ुशी नहीं तो उदासी से भर गए होते
मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फ़क़ीरों से मिले

इक उस को पाने के लिए क्या क्या किया क्या क्या हुआ
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ

मय-कदे में कोई छोटा न बड़ा जाम उठा
टैग: मय-कदा

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा

टैग्ज़: क़िस्मत और 2 अन्य
ये परिंदे भी खेतों के मज़दूर हैं

लौट के अपने घर शाम तक जाएँगे
टैग: परिंदा

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा

तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
हमारे हाथ में कोई लकीर ऐसी थी

यहाँ एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
तिरा कीर्तन अभी पाप है अभी मेरा सज्दा हराम है

टैग: फ़साद
वो अब वहाँ है जहाँ रास्ते नहीं जाते

मैं जिस के साथ यहाँ पिछले साल आया था
टैग: श्रद्धांजलि

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गए उजालों में

उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है
कोई फूल लाख क़रीब हो कभी मैं ने उस को छुआ नहीं

मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
वही दुख-भरी ज़मीं है वही ग़म का आसमाँ है

न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा

टैग: दिल
गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है

वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थे

कुछ ज़हर भी होता है अंग्रेज़ी दवाओं में
हँसो आज इतना कि इस शोर में

सदा सिसकियों की सुनाई न दे
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए

यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है
टैग्ज़: फ़ेमस शायरी और 1 अन्य

दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
जंगलों में मुसाफ़िर भटक जाएँगे

टैग: मुसाफ़िर
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे
टैग: दिल

मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
तुझे लिक्खूँ तो मेरी उँगलियाँ ऐसी धड़कती हैं

कोई फूल सा हाथ काँधे पे था
मिरे पाँव शो'लों पे जलते रहे

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना

तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है
वो माथा का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे

बचपन से ग़ज़ल ही मेरी महबूबा रही है
कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे

एक रफ़्तार से दिन रात बराबर बरसे
टैग: आँसू

मेरा शैतान मर गया शायद
मेरे सीने पे सो रहा है कोई

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं

मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
वो जो एक रात को आसमाँ का निज़ाम दे मिरे हाथ में

हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ए-जब्र में
जो ज़िंदगी को जीत ले वो ज़िंदगी का मर्द है

टैग: ज़िंदगी
महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए

लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया
ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है

कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे
टैग: फ़ेमस शायरी

मैं चुप रहा तो और ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ीं
वो भी सुना है उस ने जो मैं ने कहा नहीं

पीछे पीछे रात थी तारों का इक लश्कर लिए
रेल की पटरी पे सूरज चल रहा था रात को

पहचान अपनी हम ने मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी

दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है
अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते

टैग: दिल
कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें

शायद मेरे दिल की धड़कन चुनी है इन दीवारों में
टैग: दिल

गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोतें हैं
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

टैग: मोहब्बत
यूँ तरस खा के न पूछो अहवाल

तीर सीने पे लगा हो जैसे
टैग: तीर

फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तिरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

जिस को देखो मिरे माथे की तरफ़ देखता है
दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है

ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिए साए
जिन राहों पे देखा है बहुत धूप कड़ी है

सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
कहानियों के पुर-असरार लब तुम्हारी तरह

सोचा नहीं अच्छा-बुरा देखा-सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात-दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सुना के कोई कहानी हमें सुलाती थी
दुआओं जैसी बड़े पान-दान की ख़ुशबू

टैग: पान
इक 'मीर' था सो आज भी काग़ज़ में क़ैद है

हिन्दी ग़ज़ल का दूसरा अवतार मैं ही हूँ
टैग: मीर तक़ी मीर

Saturday, 7 December 2024

CHOSEN COUPLETS OF MIR TAQI MIR

मिरे सलीके से, मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र, मैं नाकामियों से काम लिया

My etiquette could cope with my love. 
Lifelong I sided failures over 'n above. 

कुछ नहीं सूझता हमें, उस बिन
शौक़ ने हमको बेहवास किया

Without her, I can't think of anything. 
My hobby makes me a delirious thing. 

देगी न चैन लज़्ज़त-ए-ज़ख़्म उस शिकार को 
जो खा के तेरे हाथ की तलवार, जाएगा
*
Pleasure of wound won't grant victim solace. 
Who was hit by your sword with  such a grace. 

उनने तो मुझको झूंटे भी पूछा न एक बार
मैंने उसे हज़ार जताया, तो क्या हुआ

She didn't enquire casually once as afterthought. 
I told her a thousand times but so what. 

दिल की वीरानी का क्या मज़्कूर है
यह नगर सौ मरतबा लूटा गया
*
What to talk about the solitude of heart? 
This city was looted many times from start. 

सख़्त काफ़िर था जिनने पहले मीर
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया
*
O Mir! He was an infidel in every part. 
Who adopted religion of love at start. 

मह ने आ सामने, शब याद दिलाया था उसे
फिर वह ता सुब्ह मिरे जी से भुलाया न गया
*
Moon came and reminded of her at night. 
I could not forget her till morn' all night. 

गुल ने हरचन्द कहा, बाग़ में रह, पर उस बिन
जी जो उचटा, तो किसी तरह लगाया न गया 
*
Though flower asked me to stay, but that day. 
Heart got perturbed, couldn't be set 
that day. 

शहर-ए-दिल आह अजब जाय थी, पर उसके गए
ऐसा उजड़ा कि किसी तरह बसाया न गया
*
Heart city was strange site but but for her. 
It was ruined, couldn't be set right any way. 

गलियों में अब तलक तो, मज़्कूर है हमारा
अफ़सान-ए-मुहब्बत, मशहूर है हमारा
*
Till now, my reference prevails in street. 
The tale of my love is so famous a feat. 

दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें 
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का
*
You can't collect even alms on Delhi street. 
It was proud of empire and grandiose feat. 

मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वह काग़ज नम रहा

The truth of my cries was there in. 
That paper remained wet within. 

रात हैरान हूं, कुछ चुप ही मुझे लग गयी मीर
दर्द-ए-पिन्हां थे बहुत, पर लब-ए-इज़हार न था

Astonished, O Mir! Silence has taken in handl. 
Hidden were many griefs, lips didn't extend . 

आए अगर बहार तो अब हम को क्या सबा
हमसे तो आशियां भी गया और चमन गया

Even if spring arrives, what to me O breeze?
My nest is gone and the garden under seize. 

FAMOUS COUPLETS OF URDU POETESS - ES

मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक
इसको बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब की
ज़िया बेग़म ज़िया
*
So downtrodden am I, dust goes places to tell in name. 
Why shaped him out of me and put my name to shame.

बरसों ग़म-ए-गेसू में गिरफ़्तार तो रक्खा
अब कहते हो क्या तुम ने मुझे मार तो रक्खा

Kept captive in tress grief for years alright. 
Now claim to have killed me my dears alright. 

कुछ बे-अदबी और शब-ए-वस्ल नहीं की
हाँ यार के रुख़्सार पे रुख़्सार तो रक्खा

No misconduct was done on first night. 
Well, my cheek was on his cheek,cheers alright. 

इतना भी ग़नीमत है तिरी तरफ़ से ज़ालिम
खिड़की न रखी रौज़न-ए-दीवार तो रक्खा

It is enough O murderer from your side. 
Not a window but a hole in wall clears alright. 

वो ज़ब्ह करे या न करे ग़म नहीं इस का
सर हम ने तह-ए-ख़ंजर-ए-ख़ूँ-ख़्वार तो रक्खा

Whether or not he murders, I won't grieve. 
My head over his blooded dagger bears alright 

इस इश्क़ की हिम्मत के मैं सदक़े हूँ कि 'बेगम'
हर वक़्त मुझे मरने पे तय्यार तो रक्खा

I am proud of the courage of love, O 'Begham'! 
It kept me ready for death, no fears, alright. 
BEGHUM LAKHNAVI (Daughter of Mir Taqi Mir)

गुल के होने की तवक़्क़ो पे जिए बैठी है
हर कली जान को मुट्ठी में लिए बैठी है 

Hoping to be a flower is each bud. 
Keeping life in it's power is each bud. 

उन को आँखें दिखा दे टुक साक़ी 
माँगते हैं जो बार - बार शराब! 

O bargirl ! With your eyes you  scold. 
Who ask for drinks so often, are  bold. 

दिल हो गया है ग़म से तिरे दाग़दार ख़ूब 
फूला है क्या ही जोश में ये लाला-ज़ार ख़ूब 
 
My heart is so studded by grief scars.
Proud of bed of garden of Tulip stars. 
MAH LAKHA BAI CHANDA, HYDERABAD, 1768



सुब्ह होती है शाम होती है 

उम्र यूँही तमाम होती है 

मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 1 अन्य 
 
 
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर 

आदत इस की भी आदमी सी है 

गुलज़ार
 
  
 
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 

वक़्त कितना क़ीमती है आज कल 

शकील बदायूनी
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य 
 
 
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं 

गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं 

मीर हसन
टैग्ज़ : प्रसिद्ध मिसरे और 1 अन्य 
 
 
इक साल गया इक साल नया है आने को 

पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 

इब्न-ए-इंशा
टैग : नया साल 
 
 
जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर 
तो वापस लौट कर गुज़रे ज़माने क्यूँ नहीं आते 
इबरत मछलीशहरी
 
 
 
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना 

हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है 

बशीर बद्र
टैग्ज़ : दरिया और 1 अन्य 
  
 
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें 

क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता


वो आफ़्ताब-ए-हुस्न रहा मरकज़-ए-निगाह 
था देखना मुहाल मगर देखते रहे

That beautiful sun was the center of view. 
Though difficult it was but I kept her in view. 

har chiiz nahīñ hai markaz par ik zarra idhar ik zarra udhar
nafrat se na dekho dushman ko shāyad vo mohabbat kar baiThe

allāh to sab kī suntā hai jur.at hai 'shakīl' apnī apnī
'hālī' ne zabāñ se uf bhī na kī 'iqbāl' shikāyat kar baiThe

SHAKEEL BADAYUNI 

Wednesday, 4 December 2024

BASHIR BADR.. GHAZAL.. AANSUON SE DHULII KHUSHI KI TARAH....

आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह

Washed with tears of pleasure, it's like. 
Relations are poetic treasure,it's like. 

हम ख़ुदा बन के आएँगे वरना
हम से मिल जाओ आदमी की तरह

I shall appear in the form of God. 
Or meet me as man at leisure, it's like. 

बर्फ़ सीने की जैसे- जैसे गली
आँख खुलती गई कली की तरह

As the ice in chest gradually melted. 
Eyes opened as bud stager,it's like. 

जब कभी बादलों में घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह

Whenever the clouds surround it. 
Moon is man cut to measure,it's like. 

किसी रोज़न किसी दरीचे से 
सामने आओ रौशनी की तरह

Come as the light somehow before me
From door, window, embrasure,it's like. 

सब नज़र का फ़रेब है वर्ना 
कोई होता नहीं किसी की तरह

It's simply a fault of our vision. 
None is equal to other's measure,it's like

ख़ूबसूरत उदास ख़ौफ़ज़दा
वो भी है बीसवीं सदी की तरह

Beautiful, sad and frightened . 
She is twentieth century treasure,it's like

जानता हूँ कि एक दिन मुझको 
वो बदल देगा डायरी की तरह

I know that he will change me. 
Any day as a diary eraser,it's like. 














Tuesday, 3 December 2024

. युग उरोज तेरे भली.......

युग उरोज तेरे भली नित - नित अधिक बढ़ाय।
अब इन भुज लतिकान में ऐरी ये न समाय।

Your breast pair is nice, 
soar each day as price.
Now my entwining arms, 
can't confine these charms.

Transcreated by Ravi Maun 

BASHIR BADR.. GHAZAL.. BAAHAR NA JAO GHAR MEN RAHO TUM NASHE MEIN HO.....

बाहर न जाओ घर में रहो तुम नशे में हो
सो जाओ दिन को रात करो तुम नशे में हो

Stay at home, not out of sight, you are drunk. 
Sleep day long into the night, you are drunk. 

क्या दोस्तों ने तुम को पिलाई है रात भर 
अब दुश्मनों के साथ रहो तुम नशे में हो

Have the chums made you consume night long? 
Now stay with the enemies, you are drunk. 

दरिया के इख़्तिलाफ़ का अंजाम सोच लो 
लहरों के साथ - साथ बहो तुम नशे में हो 

Going against the stream is like being a chunk. 
Well, float with the waves now , you are drunk. 

बेहद शरीफ़ लोगों से कुछ फ़ासला रखो
पी लो मगर कभी न कहो तुम नशे में हो

Maintain distance with very cultured people. 
May drink, but never say, you are drunk. 

काग़ज़ का ये लिबास चराग़ों के शहर में 
थोड़ा सम्भल सम्भल के चलो तुम नशे में हो 

This papery apparel in the city of lamps! 
Take each step with care, you are drunk.