Saturday, 7 December 2024

CHOSEN COUPLETS OF MIR TAQI MIR

मिरे सलीके से, मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र, मैं नाकामियों से काम लिया

My etiquette could cope with my love. 
Lifelong I sided failures over 'n above. 

कुछ नहीं सूझता हमें, उस बिन
शौक़ ने हमको बेहवास किया

Without her, I can't think of anything. 
My hobby makes me a delirious thing. 

देगी न चैन लज़्ज़त-ए-ज़ख़्म उस शिकार को 
जो खा के तेरे हाथ की तलवार, जाएगा
*
Pleasure of wound won't grant victim solace. 
Who was hit by your sword with  such a grace. 

उनने तो मुझको झूंटे भी पूछा न एक बार
मैंने उसे हज़ार जताया, तो क्या हुआ

She didn't enquire casually once as afterthought. 
I told her a thousand times but so what. 

दिल की वीरानी का क्या मज़्कूर है
यह नगर सौ मरतबा लूटा गया
*
What to talk about the solitude of heart? 
This city was looted many times from start. 

सख़्त काफ़िर था जिनने पहले मीर
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया
*
O Mir! He was an infidel in every part. 
Who adopted religion of love at start. 

मह ने आ सामने, शब याद दिलाया था उसे
फिर वह ता सुब्ह मिरे जी से भुलाया न गया
*
Moon came and reminded of her at night. 
I could not forget her till morn' all night. 

गुल ने हरचन्द कहा, बाग़ में रह, पर उस बिन
जी जो उचटा, तो किसी तरह लगाया न गया 
*
Though flower asked me to stay, but that day. 
Heart got perturbed, couldn't be set 
that day. 

शहर-ए-दिल आह अजब जाय थी, पर उसके गए
ऐसा उजड़ा कि किसी तरह बसाया न गया
*
Heart city was strange site but but for her. 
It was ruined, couldn't be set right any way. 

गलियों में अब तलक तो, मज़्कूर है हमारा
अफ़सान-ए-मुहब्बत, मशहूर है हमारा
*
Till now, my reference prevails in street. 
The tale of my love is so famous a feat. 

दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें 
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का
*
You can't collect even alms on Delhi street. 
It was proud of empire and grandiose feat. 

मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वह काग़ज नम रहा

The truth of my cries was there in. 
That paper remained wet within. 

रात हैरान हूं, कुछ चुप ही मुझे लग गयी मीर
दर्द-ए-पिन्हां थे बहुत, पर लब-ए-इज़हार न था

Astonished, O Mir! Silence has taken in handl. 
Hidden were many griefs, lips didn't extend . 

आए अगर बहार तो अब हम को क्या सबा
हमसे तो आशियां भी गया और चमन गया

Even if spring arrives, what to me O breeze?
My nest is gone and the garden under seize. 

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