बा नफ़्स हमेशा दर नबर्दम् चि ़कुनम
च ज़ कर्दा-ए- खेशतन बदर्दम् चि कुनम
गीरम कि ज़ मन दर गुज़रानी ब करम
ज़ाँ शर्म कि दीदी चि कर्दम चि कुनम
उमर ख़य्याम
है जंग जारी नफ़्स से पर क्या करूँ कहो
जलता हूँ अपने कर्म से पर क्या करूँ कहो
कर देगा दर गुज़र, मैं जानता तिरा करम
शर्मिंदा हूँ तू देखता है मगर क्या करूँ कहो
रूपान्तरण... रेवती लाल शाह एवम् रवि मौन
जाना मन ओ तू नमूनः-ए-परकारेम
सर गरचः दो कर्दाएम-एक तन आरेम
बर नुक़्ता खानेम कनूँ दायरा वार
ता आख़िरकार सर बहम बाज़ आरेमऐ
उमर ख़य्याम
जानाँ मैं और तू तो हैं, जैसे होता परकार
सर तो दो हैं पर यही इक शरीर आकार
घूम रहे हैं इक घेरे में, बिन्दु वही आधार
सर भी तो मिल जाएँगे अपने आख़िरकार
रूपान्तरण.....रेवती लाल शाह एवम् रवि मौन