ईं चर्ख़े-फ़लक कि मा दरू हैरानेम
फ़ानूस ख़याल अज़ूमिसाले दानेम
ख़ुर्शीद चिराग़दाँ व आलम फ़ानूस
मा चूँ सूरेम कन्दरू हैरानेम
ये चर्ख़े-फ़लक जिस पर हैं हम सभी हैराँ
इक सूरत-ए-फ़ानूस ही लगता है ये सामाँ
सूरज चिराग़दान और फ़ानूस सा आलम
हम चित्र हैं दीवार पर और अक्स से रवाँ
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