जानो-दिलो-जामः दर रह्ने-शराब
फ़ारिग़ ज़ उम्मीदे-रहमतो-बरिमे-अ'ज़ाब
आज़ाद ज़ ख़ाको-बादो-आतिशो-आब
मैख़ाने के इस कोने में मैं, मेरा मा'शूक़, शराब
रह्न जाँ, दिल, जाम रक्खे, पी सकूँ जिस से शराब
हो गया आज़ाद पानी, हवा, आतिश, ख़ाक से
अब न रहमत की तमन्ना और डर जो हों अज़ाब
Bahut khoob
ReplyDelete