किसको गुमराह किया है कभी मैंने कह दो
जो भी आता है यहाँ अपने लिए आता है।
जो भी आता है यहाँ अपने लिए आता है।
कोई आता है यहाँ गम को भुलाने के लिए
और कोई खुशियाँ मनाने के लिए आता है।
मुफ़्त बदनाम है मैख़ाना, पयाला ,साक़ी
कोई अहसास है जो इनको यहाँ लाता है।
मै डुबो देती है ग़म को भी ख़ुशी को भी मगर
सिर्फ़ अहसास ही फिर तैर के आ जाता है।
रिन्द और साक़ी का रिश्ता भी अजब रिश्ता है।
कोई चाहत, न सहारा, न कोई नाता है।।
- रवि मौन
Ravi Maun
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