धन्य कंस का कारागार। हरि ने लिया जहाँ अवतार।
वसु देवकी करें प्रणाम। लेलेकर श्री हरि का नाम।
बाल रूप धार्यो गोपाल। मात-पिता नैं कर्यो निहाल।
बेड़ी खुली, खुले सब द्वार। सोए सारे पहरेदार।
कृष्ण सूप पर लिए उठाय। चलें जहाँ रहते नन्दराय।
जमुना जल में रहा उठाव। छूना चाहे हरि का पाँव।
छूकर पानी नीचे जाय। जमना जल भी दर्शन पाय।
बालकृष्ण नैं दियो सुलाय। और बालिका लई उठाय।
वसु पहुँचे फिर कारागार। बेड़ी लगी बन्द सब द्वार।
जन्म जान आया भूपाल। इसे शिला पर दूँ अब डाल।
उड़ी हाथ से कहा पुकार। जन्मा तेरा मारनहार।
- रवि मौन
वसु देवकी करें प्रणाम। लेलेकर श्री हरि का नाम।
बाल रूप धार्यो गोपाल। मात-पिता नैं कर्यो निहाल।
बेड़ी खुली, खुले सब द्वार। सोए सारे पहरेदार।
कृष्ण सूप पर लिए उठाय। चलें जहाँ रहते नन्दराय।
जमुना जल में रहा उठाव। छूना चाहे हरि का पाँव।
छूकर पानी नीचे जाय। जमना जल भी दर्शन पाय।
बालकृष्ण नैं दियो सुलाय। और बालिका लई उठाय।
वसु पहुँचे फिर कारागार। बेड़ी लगी बन्द सब द्वार।
जन्म जान आया भूपाल। इसे शिला पर दूँ अब डाल।
उड़ी हाथ से कहा पुकार। जन्मा तेरा मारनहार।
- रवि मौन