Friday, 1 January 2016

Nainan ke path

नैनन के पथ मन में उतरी जब से तुमको देखा।
तू मेरे  दिल की शहज़ादी और भाग्य की रेखा।।

ओ मेरे सपनों की रानी, कैसे तुझे बताऊँ ?
कब से तेरी राह निहारी, मैं कैसे समझाऊँ ?

जीवन पथ के एकल राही हाथ थामले मेरा।
जब तक डोर बंधी साँसों की साथ न छूटे तेरा।।

- रवि मौन
#Ravimaun  

No comments:

Post a Comment