मुनि पुलस्त्य का वंशधर, इतना प्रतिभावान।
शिवभक्तों में अग्रसर, रावण था बलवान।
स्वर्णलंक का अधिपति, बना धरा का भार।
अहंकार में मिट गया, हर लाया हरि नार।।
-रवि मौन
२३-०३-२०१४
शिवभक्तों में अग्रसर, रावण था बलवान।
स्वर्णलंक का अधिपति, बना धरा का भार।
अहंकार में मिट गया, हर लाया हरि नार।।
-रवि मौन
२३-०३-२०१४
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