Tuesday, 12 January 2016

रावण...

मुनि पुलस्त्य का वंशधर, इतना प्रतिभावान।
शिवभक्तों में अग्रसर, रावण था बलवान।
स्वर्णलंक का अधिपति, बना धरा का भार।
अहंकार में मिट गया, हर लाया हरि नार।।

-रवि मौन
२३-०३-२०१४  

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