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Saturday, 16 January 2016

नाम की महिमा कितनी भारी

पाप करम में लीन अजामिल अपणी उमर बिताई ।
नारायण को नाम ले लियो अन्त घड़ी जब आई।
यम का दूत हताश चल दिया बैकुण्ठां तैयारी।।
नाम की महिमा कितनी भारी।

रत्नाकर डाकू जीवन भर राही कितना लूट्या।
नारद जी नै दया आ गई मोह जाल तब टूट्या।
मरा मरा रट सन्त बण गयो जाणै दुनिया सारी।।
नाम की महिमा कितनी भारी।

- रवि मौन
०५-०२-१९९०

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