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Tuesday, 2 February 2016

दादी का लाड़ला...

चुनरी चढाँवा दादी, गजरो पहरावाँ दादी, म्हे दादी का लाड़ला।।
गुण थारा गाँवा दादी, झुंझुणू मैं जावाँ दादी, म्हे दादी का लाड़ला।।

मावस में मेलो लागै, दर्शन से क़िस्मत जागै, व्है दादी का लाड़ला।।
थारा भजन जो गावै, गुण सारा ऊँ मैं आवैं, व्है दादी का लाड़ला।।

दादी का दर्शन करके, तन मन धन अर्पण करकै, व्है दादी का लाड़ला।।
भादों मावस को मेलो, भक्ताँ को आवे रेलो, ये दादी का लाड़ला।।    

दादी की महिमा न्यारी, दादी है सबनै प्यारी, सै दादी का लाड़ला।।
मंगल कर आरति गाओ, दादी का दर्शन पाओ, सै दादी का लाड़ला।।



-रवि मौन
२२-५-२००२ 

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