जो इक घड़ी के लिए उसने मुझसे प्यार किया।
मेरे दिमाग पर, दिल पर भी अख़्तियार किया।।
फ़साने सुनते थे फ़रहाद के, मजनूँ के कभी।
हाँ, आज भी तो ज़माने ने हमको ख़्वार किया।।
ख़ुशी मिली तो मिली जितनी देर साथ रहे।
बिछड़ गए जो, तो दुनिया ने ज़ार-ज़ार किया ।।
बराहे करम जो अश्कों को शोख़ ने पोंछा।
पलट के अपने ही दामन को तार तार किया।।
मिटी ग़रीब की बस्ती कहीं तो ये जानो।
मिला अमीर सियासत से 'मौन' वार किया ।।
-रवि मौन
मेरे दिमाग पर, दिल पर भी अख़्तियार किया।।
फ़साने सुनते थे फ़रहाद के, मजनूँ के कभी।
हाँ, आज भी तो ज़माने ने हमको ख़्वार किया।।
ख़ुशी मिली तो मिली जितनी देर साथ रहे।
बिछड़ गए जो, तो दुनिया ने ज़ार-ज़ार किया ।।
बराहे करम जो अश्कों को शोख़ ने पोंछा।
पलट के अपने ही दामन को तार तार किया।।
मिटी ग़रीब की बस्ती कहीं तो ये जानो।
मिला अमीर सियासत से 'मौन' वार किया ।।
-रवि मौन
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