Monday, 15 February 2016

राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।
भज ले हरि को भज ले थोड़ी सी ज़िंदगानी है।

धन के पीछे पीछे भागा। चैन गँवाया, रातों जागा।
यहीं पड़ा रह जाते देखा, बात पुरानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

यह सुन्दर कंचन सी काया।  जिसने तुझको है भरमाया।
युँही ख़ाक में मिले, ख़ाक किसने पहचानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

जिनके पीछे हरि को भूला।  फिरता निस दिन फूला फूला।
इसी जनम के नाते हैं सब, नई कहानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

- रवि मौन
१४-०२-१९९० 

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