रवि मौन की मधुशाला - ३
तुझको चिंता क्या मेरी, तू रटता रह साक़ीबाला।
अविरल ढलने वाले मधुघट, अविरल भर आता प्याला।
अविरल पीने वाले मतवालों का यह समूह साथी।
तेरे जीवन की चिंताएं हर लेगी यह मधुशाला।।
तुझको चिंता क्या मेरी, तू रटता रह साक़ीबाला।
अविरल ढलने वाले मधुघट, अविरल भर आता प्याला।
अविरल पीने वाले मतवालों का यह समूह साथी।
तेरे जीवन की चिंताएं हर लेगी यह मधुशाला।।
No comments:
Post a Comment