रवि मौन की मधुशाला - ४
धीरे- धीरे समझूँगा अंदाज़ लिपटने के बाला।
धीरे- धीरे समझूँगा आनंद चूमने के हाला।
धीरे- धीरे भूल सकूँगा मैं जग की दुत्कार सभी।
धीरे- धीरे अंकित होगी हृदय पटल में मधुशाला।।
धीरे- धीरे समझूँगा अंदाज़ लिपटने के बाला।
धीरे- धीरे समझूँगा आनंद चूमने के हाला।
धीरे- धीरे भूल सकूँगा मैं जग की दुत्कार सभी।
धीरे- धीरे अंकित होगी हृदय पटल में मधुशाला।।
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