Thursday, 9 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 4

रवि मौन की मधुशाला - ४   

धीरे- धीरे समझूँगा अंदाज़ लिपटने के बाला।
धीरे- धीरे समझूँगा आनंद चूमने के हाला।
धीरे- धीरे भूल सकूँगा मैं जग की दुत्कार सभी।
धीरे- धीरे अंकित होगी हृदय पटल में मधुशाला।। 

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