रवि मौन की मधुशाला - ५
चार दिनों का जीवन है यह, कहता है इक मतवाला।
दो दिन बीत गए अन्वेषण जब तक कर पाया प्याला।
नित नूतन साक़ी के नखरे, चलने के अंदाज़ नए।
हाय प्रथम से क्यों न पा सका जीवन में यह मधुशाला।।
चार दिनों का जीवन है यह, कहता है इक मतवाला।
दो दिन बीत गए अन्वेषण जब तक कर पाया प्याला।
नित नूतन साक़ी के नखरे, चलने के अंदाज़ नए।
हाय प्रथम से क्यों न पा सका जीवन में यह मधुशाला।।
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