रवि मौन की मधुशाला - ६
यह तो मानव की क्षमता है, जो पी जाता है ज्वाला।
संचित उसकी शक्ति कर रही है सुन्दर साक़ी बाला।
जब भी साहस डगमग करता चंचल चितवन दिखलाती।
जिसे देख कर पीने वाला ही बन जाता मधुशाला।।
यह तो मानव की क्षमता है, जो पी जाता है ज्वाला।
संचित उसकी शक्ति कर रही है सुन्दर साक़ी बाला।
जब भी साहस डगमग करता चंचल चितवन दिखलाती।
जिसे देख कर पीने वाला ही बन जाता मधुशाला।।
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