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Friday, 17 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 8

रवि मौन की मधुशाला - ८ 

कभी दाल कर दो बूँदें ही चल देती साक़ीबाला।
प्यास बढ़ा कर नैनों से ही हाय बींध मुझको डाला।
प्याला ले कर खड़ा रहा पर आज मुझे संताप नहीं।
साक़ी अधिक नशीली मधु से, सर्वाधिक है मधुशाला।। 

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