रवि मौन की मधुशाला - ९
कब तक रहूँ प्रतीक्षारत मैं, कर में रिक्त लिए प्याला।
जाने कब डालेगी मुझपर कृपादृष्टि साक़ीबाला।
कब तक मैं उपहास सहूँगा साथी पीने वालों का।
कुछ विचार तो करना होगा मुझ पर भी हे मधुशाला।।
कब तक रहूँ प्रतीक्षारत मैं, कर में रिक्त लिए प्याला।
जाने कब डालेगी मुझपर कृपादृष्टि साक़ीबाला।
कब तक मैं उपहास सहूँगा साथी पीने वालों का।
कुछ विचार तो करना होगा मुझ पर भी हे मधुशाला।।
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