Friday, 15 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 19

रवि मौन की मधुशाला - १९ 

हानि-लाभ की कब चिन्ता करता कोई पीनेवाला। 
जीना-मरना लगा रहेगा, कहता है हर मतवाला। 
हाथ पकड़ ले साक़ी, इस आशा में डगमग करता है। 
कुछ मद्यप आते हैं यूँ ही, नित्य टहलते मधुशाला।।      

Wednesday, 13 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 18

रवि मौन की मधुशाला - १८ 

भ्रमित हुआ मन कलकल सुन जब मधुघट से ढलकी हाला। 
तन्मय हो कर नाच रहा था जाने क्यों पीने वाला।
प्रमुदित हो कर साक़ी उसको अपने पास बुलाती है। 
मद्यप के इस भाग्योदय से विस्मित सी है मधुशाला।।   

Monday, 11 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 17

रवि मौन की मधुशाला - १७ 

सुख दुःख की सीमा के बाहर, ले जाता चौथा प्याला। 
चौथेपन में यह गुरुमंत्र सीख पाया साक़ी बाला। 
चौथे चन्द्रोदय को व्रत रत पत्नि प्रतीक्षा करती है। 
तेरे आँगन में न आज आ पाऊंगा मैं मधुशाला।।    

Saturday, 9 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 16

रवि मौन की मधुशाला - १६   

दिन भर जो अर्जित कर पाया चरणों में तेरे डाला। 
तिस पर भी रखा हाथों में साक़ी यह आधा प्याला। 
जीवन रक्षा हेतु पिलाती है थोड़ा थोड़ा मुझको। 
पीते-पीते धीरे-धीरे समझ रहा हूँ मधुशाला।। 

Thursday, 7 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 15

रवि मौन की मधुशाला - १५ 

भगवा वस्त्र पहनता है पर जपता है स्वर्णिम माला। 
पीता नित्य सोमरस, शिष्यों को वर्जित करता हाला। 
रात्रि बिताने चला वहाँ पर, जहां षोडशी कन्या थी। 
इससे तो अच्छा  होता यदि तू आ जाता मधुशाला।।    

Tuesday, 5 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 14

रवि मौन की मधुशाला - १४

मिट्टी से ही निर्मित मानव, मिट्टी से निर्मित प्याला।
नभ से झरे कि दृग से, दोनों ही कहलाती हैं हाला।
भेंट वायु से पथ में होती, जब वह नीचे आती है।
मद्यप की आत्मा साक़ी है, जहां मिलें सब, मधुशाला।।     

मिट्टी से ही निर्मित मानव , मिट्टी से निर्मित प्याला।
दोनों में आकर्षण क्यों है अब समझा साकीबाला। 
योद्धा लड़ते समरांगण में क्यों कि प्रेम मिट्टी से है। 
छलकी है प्याले से हाला इसी प्रेम में मधुशाला। 

Sunday, 3 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 13

रवि मौन की मधुशाला - १३ 

कल की चिंता क्यों करता है, कहती है साक़ी बाला।
या जो बीत गया है वह है, या जो है आने वाला। 
मदिरालय में सभी आज का ही अभिनन्दन करते हैं। 
इसीलिए तो नई नवेली दुल्हन लगती मधुशाला।।