रवि मौन की मधुशाला - १६
दिन भर जो अर्जित कर पाया चरणों में तेरे डाला।
तिस पर भी रखा हाथों में साक़ी यह आधा प्याला।
जीवन रक्षा हेतु पिलाती है थोड़ा थोड़ा मुझको।
पीते-पीते धीरे-धीरे समझ रहा हूँ मधुशाला।।
दिन भर जो अर्जित कर पाया चरणों में तेरे डाला।
तिस पर भी रखा हाथों में साक़ी यह आधा प्याला।
जीवन रक्षा हेतु पिलाती है थोड़ा थोड़ा मुझको।
पीते-पीते धीरे-धीरे समझ रहा हूँ मधुशाला।।
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