Monday, 11 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 17

रवि मौन की मधुशाला - १७ 

सुख दुःख की सीमा के बाहर, ले जाता चौथा प्याला। 
चौथेपन में यह गुरुमंत्र सीख पाया साक़ी बाला। 
चौथे चन्द्रोदय को व्रत रत पत्नि प्रतीक्षा करती है। 
तेरे आँगन में न आज आ पाऊंगा मैं मधुशाला।।    

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