Friday, 15 July 2016

Ravimaun ki Madhushala - 19

रवि मौन की मधुशाला - १९ 

हानि-लाभ की कब चिन्ता करता कोई पीनेवाला। 
जीना-मरना लगा रहेगा, कहता है हर मतवाला। 
हाथ पकड़ ले साक़ी, इस आशा में डगमग करता है। 
कुछ मद्यप आते हैं यूँ ही, नित्य टहलते मधुशाला।।      

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