Tuesday, 27 September 2016

रुबाई रवि मौन

वक़्त जाता है याद रहती है।
एक दरिया की तरह बहती है।
जो भी गुज़रा है बीते लम्हों में।
उसको ये धीरे धीरे कहती है।

सुंदर तेरे अंग सब, सुंदर तेरे बाल।
मनमोहक तेरी हँसी, मतवाली है चाल।
कल की सी तो बात है, मिले जब प्रथम रैन।
लोगों को यह भरम है, बीत गए कुछ साल।

मिलन तुम्हारा अद्भुत सुख है।
और बिछड़ना भीषण दुःख है।
देखे आस जगे जीवन की।
इतना सुंदर तेरा मुख है।।

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