Friday, 28 October 2016

Wali Dakni.. A ghazal 'n loose couplets SAJAN TUM MUKH...

सजन तुम मुख सिती उल्टो निक़ाब आहिस्ता आहिस्ता।
कि ज्यूँ गुल सों निकसता है गुलाब आहिस्ता आहिस्ता।
From face slowly slowly you raise the cover.
As a rose comes out slowly from it's cover.... 

अजब कुछ लुत्फ़ रखता है शब ए ख़ल्वत में गुलरू सूँ।
खिताब आहिस्ता आहिस्ता जवाब आहिस्ता आहिस्ता।। 
It is a  pleasure to meet at night the flower face.
You address her slowly, slowly replies the lover........ 


अजब नईं गर गुलाँ दौड़ें पकड़ कर सूरत ए कुुमरी।
अदा सूँ जब चमन भीतर वह सर्व ए सरफ़राज़ आवे।
It is not strange if flowers run like singing birds.
When my tall beloved comes to the garden in style. 


वली उस गौहर  ए कान ए हया की क्या कहूँ खूबी।
मिरे घर इस तरह आता है ज्यूँ सीने में राज़ आवे।। 
What to say about that modest pearl of the treasure.
She visits Wali s home as a secret to heart in style.... 


सफ़र ए इश्क़ का अगर है ख़याल।
हिम्मत ए दिल को ज़ाद ए राह करो।
If you want to travel love route.
Courage at heart as luggage will suit..... 

इक बार हँस के बोल सुख़न, वर्ना हश्र तक। 

जूँ बर्क़ बेक़रार रहेंगे कफ़न में हम।।

Just smile and speak with me once or till doom. 

Impatient like lightning, I'll be in grave room. 


मेरी तरफ़ साग़र बकफ़ आया है वह मस्त ए हया।
अय दिल तकल्लुफ़ बर तरफ़ मस्तानः हो मस्तानः हो।
Intoxicated, shy with wine cup in hand she comes to me.
Do not be formal o heart, be overjoyed, careless and see.... 


ज्यूँ गुल शिगुफ़्तः रू हैं  सुख़न के चमन में हम।
ज्यूँ शम्अ सरबलन्द हैं हर अंजुमन में हम।
I am a flower with smiling face in the garden of written art.
Glowing as a candle, head held high in every gathering's part....

मुफ़लिसी सब बहार खोती है।

मर्द का ऐतबार खोती है।।

In poverty, glory is off at every cost. 

The confidence of man is finally lost.


दिल क्यूँ न जावे उस गली में। 

गली उस दिलरुबा की दिलकुशा है। 


Why in that lane, shouldn't go my heart ?

Her lane attracts and e snares my heart. 

Couplets 12 .. Wali Dakni... Ajab naeen gar gulaan...


अजब नईं गर गुलाँ दौड़ैं पकड़ कर सूरत ए क़ुमरी। 
अदा सूँ जब चमन भीतर वह सर्व ए सरफ़राज़ आवे। 


It is nt strange if flowers run like singing birds.
When my tall beloved comes to the garden in style.

 
वली उस गौहर ए कान- ए- हया की क्या कहूँ ख़ूबी। 
मिरे घर इस तरह आता है ज्यूँ सीने में राज़ आवे।


What to say about that modest pearl of treasure.
She visits Wali s home as heart s secret in style.


सफ़र ए इश्क़ का अगर है ख़याल
हिम्मतदिल को ज़ादराह करो।


If you think about travelling love  route.
Courage at heart as luggage will suit.


मेरी तरफ़ सागर बकफ़ आया है वो मस्त- ए- हया।
ऐ दिल तकल्लुफ़ बर तरफ़, मस्तानःहो मस्तानः हो। 

Intoxicated, shy, with wine cup in hand, she comes towards me.
Do not  be formal O heart! Be overjoyed, careless and see.


ज्यूँ गुल शिगुफ़्तः रू हैं सुख़न के चमन में हम
ज्यूँ शम्अ सरबलन्द हैं हर अंजुमन में हम


I am like a flower with smiling face in the garden of written art.
Glowing as a candle, head held high  in every gathering'  s part.


इक बार हँस के बोल सुख़न वर्ना हश्र तक। 

ज्यूँ बर्क़ बेक़रार रहेंगे कफ़न में हम।

Just smile and speak with me once or till doom. 

I patient, like lightening I 'll be in coffin room. 


मुफ़लिसी सब बहार खोती है। 

मर्द का ऐतबार खोती है। 


In poverty, glory is off at no cost. 

The confidence of man is virtually lost.


मिलना तुमन का ग़ैर से कोई झूट कोई सचमुच कहे। 

किस किस का मुँह मूँदूँ सनम कोई कुछ कहे कोई कुछ कहे। 


Your meeting with my rival, is it true or lie?

People say many things, whose tongue can I tie?


तिरे बिन मुझको ऐ साजन तो घर और बार क्या करना ?

अगर तू ना इछे मुझ कन  तो ये संसार क्या करना ?

O love ! Without you, of a house what 'll I do? 

If you aren't mine, of the world what 'll I do ?

ऐ' वली' दुनिया में रहने को मुकाम- ए- आशिक़ ।

कूच ए ज़ुल्फ़ है आग़ोश - ए-तन्हाई है।

O Wali ! In this world for a lover to stay.

Are embrace of solitude' n tress gone astray.


आरसी देख कर न हो मग़रूर। 

ख़ुद नुमाई न कर ख़ुदा सों डर।


Looking in mirror with self regard. 

Exhibitive ! Just be afraid of Lord.


तुझ लब की सिफ़त लाल-ए-बदुख़्शाँ से कहूँगा। 

जादू हैं तेरे नैन ग़ज़ालाँ से कहूँगा।


Before precious Badukhshan stones, I 'll praise your lips dear

So magical are your eyes, I' ll talk with the deer. 

Thursday, 27 October 2016

GHAZAL MIR TAQI MIR.. KYA MEIN BHI PARESHANI.....

क्या मैं भी परीशानि-ए-ख़ातिर से क़रीं था।
आँखें तो कहीं थीं दिलेग़मदीदः कहीं था।

Had I also reached  the peak of heart's plight.
Eyes were elsewhere, sad heart had you in sight.

किस रात नज़र की है सू-ए-चश्म के अंजुम।
आँखों के तले अपने तो वो माहजबीं था।

When did I look towards stars on any night.
Only that moon face was always in my sight.

आया तो सही वो कोई दम के लिए लेकिन
होंटों पे मिरे जब नफ़से बाज़पसींं था।

Oh yes she came to me for a while, but
On my lips were then last breaths alright.

नाम आज कोई याँ नहीं लेता है उन्हों का।
जिन लोगों के कल मुल्क यह सब ज़ेरेनगीं था।

Today no one utters the name of those.
The people who had this nation under might.

मस्जिद में इमाम आ के हुआ जाने कहाँ से।
कल तक तो यही मीर ख़राबात नशीं था।

From where did he become priest at the mosque.
Not long ago only tavern was Mir's  site.

GHAZAL... BASHIR BADR.. ROSHANI KE MUQADDAR...

रोशनी के मुक़द्दर में नींदें कहाँ, चाँद में, ताक़ पर वो सजाएँ कहीं। 

हम चिराग़े वफ़ा, जलना है रात भर, आस्माँ ता ज़मीं वो जलाएँ कहीं। 

There is no sleep in the fate of light, they may set in the moon or roof somewhere. 

We have to burn like two loyal bodies, from sky to earth they may burn anywhere. 

दो भटकती हुई रूह जैसे मिलें, यूँ मिलीं वो निगाहें मगर ख़ौफ़ है। 

ज़ीस्त है रात में जंगलों का सफ़र, इस जनम में भी हम खो न जाएँ कहीं।। 

As if two wandering souls have met, those eyes have met but I am still afraid. 

Life is a journey of woods at night, even in this life we may part  somewhere. 

शोहरतें मिस्ले मीनारे अज़्मत हमें, आस्माँ  की तरफ़ ले चली हैं मगर। 

जी में है सब्ज़ पैग़म्बरों की तरह, सीनए संग से सर उठाएँ कहीं। 

The fame has taken me towards the sky, like a minaret of name and fame. 

My heart still longs to raise it's head, like green grass on stones somewhere. 

बर्फ़ सी उजली पोशाक पहने हुए, पेड़ जैसे दुआओं में मसरूफ़ हैं। 

वादियाँ पाक मरियम का आँचल हुईं, आओ सजदा करें सर झुकाएं कहीं। 

As if the trees are busy in prayer, wearing their snowy glistening garb. 

Valleys are pious Mary's dress, let us pray and bend our heads somewhere . 

अनकहे शे'र हैं वादिए ज़हन में, मुख़्तलिफ़ रंग के झिलमिलाते दिये। 

दस्ते अल्फ़ाज़ महफ़ूज़ कर ले इन्हें, चल रही है हवा बुझ न जाएँ कहीं ।

In the valley of mind are untold couplets, the flickering flames of various colours. 

Let words extend their arms to shield, lest blowing wind should have it's share. 



 

यह दिवाली वीरों के नाम

जगमग जगमग दिए जलेंगे, आई आज दिवाली।
रोएँगे कुछ बच्चे और रोएँगी कुछ घरवाली।

सरहद पर जो गिरे वीर, रोएँ उनकी माताएँ।
उनकी स्मृति में आओ, हर घर एक प्रदीप जलाएँ।

श्रद्धांजलि उन वीरों को देना, कर्तव्य हमारा।
जिनको मेरा देश लगा, अपने प्राणों से प्यारा।।...... 

Saturday, 15 October 2016

संस्कृत के श्लोक हिन्दी के दोहे

नमः पंकज नाभाय नमः पंकज  मालिने।
नमः पंकज नेत्राय नमस्ते पंकजांघ्रये। ।

पंकज नाल नाभि से निकले, पंकज की है माला।
पंकज श्री चरणों पर चित्रित, पंकज नयन विशाला।।

कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती।
कर मूले तु गोविंदः प्रभाते कर दर्शनम्।।

अग्र हस्त में बसें लक्ष्मी, मध्य सरस्वति मात
मूल भाग में गोविंदा के, दर्शन करें प्रभात।।

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्याम् पाद स्पर्श क्षमस्य मेव।।

वस्त्र समुद्र विष्णु पत्नी के, स्तन सब पर्वत माल
छुऊँ पाँव से, क्षमा करें माँ, नमन करूँ मैं भाल।।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। 


टेढ़ी सूँड महा काया है, कोटि सूर्य सम करें प्रकाश ।

कारज सब सम्पन्न करें मम, औ ' विघ्नों का करें विनाश ।।

अनुवादक-  रवि मौन