Wednesday, 24 June 2020

. Faiz..... Mataa e lauh o qalam..

मता ए लौह ओ क़लम छिन गई तो क्या ग़म है ?
कि ख़ूने दिल में डुबो ली हैं उँगलियाँ मैंने। ज़बाँ पे मुहर लगी है तो क्या कि रख दी है। 
हर एक हल्का ए ज़ंजीर में ज़ुबाँ मैंने।।...

What if they have snatched my pad 'n pen?
I have soaked in my blood my fingers then. 
Why worry, if they have sealed my tongue?
My voice will be heard in chains of den........ 

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