Friday, 31 July 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. MUHABBAT SE, INAYAT SE..

मुहब्बत से, इनायत से, वफ़ा से चोट लगती है।
बिखरता फूल हूँ, मुझको हवा से चोट लगती है। 
Love, grace and loyalty these simply hurt. 
I am a shattering flower, with wind get hurt. 
मेरी आँखों में आँसू की तरह, इक रात आ जाओ। 
तकल्लुफ़ से, बनावट से, अदा से चोट लगती है। 
Like a tear, appear in my eyes one night. 
Manners, showmanship 'n grace simply hurt. 
मैं शबनम की ज़ुबाँ से, फूल की आवाज़ सुनता हूँ। 
अजब अहसास है, अपनी सदा से चोट लगती है। 
I listen to the sound of flowers from dew. 
It's strange that my own calls simply hurt. 
तुझे ख़ुद, अपनी मजबूरी का अंदाज़ा नहीं शायद। 
न कर अहदे वफ़ा, अहदे वफ़ा से चोट लगती है। 
You aren't yet aware of your own limits. 
Don't promise to be loyal, for these simply hurt. 

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