Monday, 13 July 2020

साहिर.. एक नज़्म.. कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है....

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है।.... 

कि ज़िन्दगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाओं में, गुज़रने लगती तो शादाब हो भी सकती थी।
ये तीरगी जो मेरे ज़ीस्त का मुक़द्दर है,
तेरी नज़र की शुआओं में खो भी सकती थी। 
 Sometimes, a thought just crosses my mind...... 

Filtering through the soft shades of your tress, 
Life could be beautiful at every cost. 
This darkness that's now my fate line, 
For good, in the glow of your face could be lost.
अजब न था कि मैं बेगान ए अलम रहकर,
तेरे जमाल की रानाइयों में खो रहता।
तेरा गुदाज़ बदन तेरी नीमबाज़ आँखें,
इन्हीं हसीन फ़िसानों में महव हो रहता। 
In colours of your body it wasn't so strange,
That I was not aware of ground realities at last.
The beautiful stories of your tickling body and 
Half closed eyes could a spell have cast. 
पुकारतीं मुझे जब तल्ख़ियाँ ज़माने की, 
तेरे लबों से हलावत के घूँट पी लेता। 
हयात चीख़ती फिरती बरहनासर और मैं, 
घनेरी ज़ुल्फ़ों के साए में छुप के
 जी लेता। 
I would take poison sips from your lips, 
When the bitternesses of life would call. 
When bare headed life would keep crying, 
In the shade of your dark tress I would stall. 
मगर ये हो न सका और अब ये आलम है,
कि तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तजू भी नहीं। 
गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िन्दगी जैसे, उसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं। 
But it could not be so and now, For you, your pain, your search is no space. 
Life is passing so smooth this way, 
That it  needs help from no place. 
ज़माने भर के दुखों को लगा चुका हूँ गले, गुज़र रहा हूँ कुछ अनजानी रहगुज़ारों से। 
महीब साए मेरी सिम्त बढ़ते आते हैं,
हयातोमौत के पुरहौल ख़ारज़ारों से। 
I have embraced the troubles of world, 
Am passing through routes yet unknown. 
Heart curdling shades of life and death, 
Terrible thorny shadows towards me have  grown. 
न कोई जादह, न मंज़िल, न रोशनी का सुराग़, 
भटक रही है ख़लाओं में ज़िन्दगी मेरी। 
इन्हीं ख़लाओं में रह जाऊँगा कहीं खोकर, 
मैं जानता हूँ मेरी हमनफ़स ! मगर यूँही। 
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है। 
No light, no goal, there's nothing with me, 
In vacancy of life I am roaming around. 
My cobreather! I am very well aware, 
Someday in vacancies I won't be found..... 

Sometimes a thought just crosses my mind...... 





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