Thursday, 30 July 2020

GHAZAL... MIR TAQI MIR.. JIS SAR KO GHUROOR AAJ....

जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताजवरी का।
कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहा गरी का।
The head that is proud of crowning around. 
Tomorrow 'll be cries and wailing sound.
आफ़ाक़ की मंज़िल से गया कौन सलामत?
असबाब लुटा राह में याँ हर सफ़री का। 
Who has gone untouched by the world?
Baggage of everyone is looted around. 
ज़िंदां में भी शोरिश न गई अपने जुनूँ की। अब संग मुदावा है, इस आशुफ़्तासरी का। 
Even in prison, lunacy stayed with me. 
Treatment by stoning appears to be sound. 
हर ज़ख़्मे जिगर दावर ए महशर से हमारा।
इंसाफ़तलब है तिरी बेदादगरी का। 
Every wound asks God on doomsday. 
Wants to know why for each crime found. 
अपनी तो जहाँ आँख पड़ी फिर वही देखो। 
आईने को लपका है परीशाँ नज़री का। 
Wherever I saw, I could only see. 
Mirror reveals that sight is unsound. 
ले साँस भी आहिस्ता किनाज़ुक है बहुत काम। 
आफ़ाक़ की इस कारगहे शीशागरी का। 
O slowly you breathe, so delicate is work. 
World is a factory of mirrors all around. 
टुक मीरे जिगर सोख़्तः की जल्द ख़बर ले। 
क्या यार भरोसा है चिराग़ ए सहरी का? 
Care to ask how is Mir, the burnt heart. 
How long can a morning lamp be around? 

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