ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम।
I am blowing fire from the singer's lips.
How can I be silent by fear of worldly nips.
कुछ और बढ़ गए जो अंधेरे तो क्या हुआ।
मायूस तो नहीं हैं तुलू ए सहर से हम। What's there if darkness spreads a bit more.
I still have hope from chirping morning lips.
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है।
क्या देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम?
All that I can have is my own view.
How to see life with someone else's tips?
माना कि हम ज़मीं को न गुलज़ार कर सके।
कुछ ख़ार कम तो हो गए गुज़रे जिधर से हम।
Yes, I couldn't make a garden of the earth.
Some thorns are removed from where my foot dips.
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