Wednesday, 29 July 2020

SAHIR.. GHAZAL.. MOHABBAT TARK KI MAINE...

मोहब्बत तर्क की मैंने, गिरेबां सी लिया मैंने।
ज़माने अब तो ख़ुश हो, ज़हर भी ये पी लिया मैंने।

I have renounced love, stitched tattered attire. 
Feel happy, I consumed this poison as prior. 

अभी ज़िंदा हूँ, लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में। 
कि अब तक, किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने? 
I am alive but always think when alone. 
How have I lived so far, with what desire? 

उन्हें अपना नहीं सकता, मगर इतना भी क्या कम है। 
कि कुछ मुद्दत , हसीं ख़्वाबों में खो कर
जी लिया मैंने। 
Engrossed in lovely dreams, I have lived for sometime. 
Is it anyway less, though her I can't acquire. 

बस अब तो दामने दिल छोड़ दो, बेकार उम्मीदो। 
बहुत दुख सह लिया मैंने, बहुत दिन जी लिया मैंने। 
Now spare my heart O useless hopes! 
Had enough pain 'n life, now want to be defier. 

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