Friday, 14 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. YUN HI BESABAB NA PHIRA....

 यूँ ही बेसबब न फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो।
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके चुपके पढ़ा करो।
Don't roam without a purpose, some eve' stay at home. 
She is a true book of ghazals, read silently at home.
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से ।
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो ।
 None 'll shake even hands, if suddenly you embrace. 
It's a city of new mood, must keep distance on roam. 
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा। 
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो। 
Many turns are on way, men' ll come'n go away. 
Who forgot you from heart, pray memories not to roam. 
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मुहब्बतों की कहानियाँ। 
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो। 
 To me all these love stories look like advertisements. 
Listen to what's unsaid, what's unheard say from dome. 
कभी हुस्ने पर्दानशीं भी हो ज़रा आशिक़ाना लिबास में। 
जो मैं बन सँनर के कहीं चलूँ मिरे साथ तुम भी चला करो। 
Let veiled beauty also get set in lovely attire. 
When I go out well dressed, with me you too should roam. 
नहीं बेहिजाब वो चाँद सा कि नज़र का कोई असर न हो। 
उसे इतनी गर्मिए शौक़ से बड़ी देर तक न तका करो। 
Not shameless like the moon, that sight 'll not affect. 
Don't look for long with heat of love, while she is at dome. 
ये ख़िज़ाँ की ज़र्द सी शाल में जो उदास पेड़ के पास है। 
ये तुम्हारे घर की बहार है इसे आँसुओं से हरा करो। 
Covered with withered autumn shawl, standing by sad tree. 
Wet with tears to let turn green she is spring of your home. 


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