Monday, 24 August 2020

SAHIR.. GHAZAL.. CHEHRE PE KHUSHI CHHA JATI HAI....

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता है।
जब तुम मुझे अपना कहते हो, अपने पे ग़ुरूर आ जाता है।
There's a drunkard look in eyes, on face there is  pleasing glow.
When you say that I am yours, I feel proud of getting to know. 
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो, शायद ये तुम्हें मालूम नहीं। 
महफ़िल में तुम्हारे आते ही, हर चीज़ पे नूर आ जाता है। 
Probably you are unaware that you are a world of beauty. 
When you step into a gathering,
on everything there. Is a glow. 
हम पास से तुम को क्या देखें, तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो। 
बेताब निगाहों के आगे, पर्दा सा ज़रूर आ जाता है। 
How to see you from so near, whenever you confront me.
In front of my restless eyes, a curtain appears to block the show.
जब तुम से मुहब्बत की हमने, तब जा के कहीं ये राज़ खुला। 
मरने का सलीक़ा आते ही, जीने का शऊर आ जाता है।
When I got in love with you, only then was secret out.
When you learn the manner to die, way to live comes in row. 

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