Saturday, 8 August 2020

SAHIR.. GHAZAL.. TANG AA CHUKE HAIN.....

तंग आ चुके हैं कश्मकशे ज़िन्दगी से हम। ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम। I am tired of dilemmas of life's state.
May reject this world out of distaste. 
मायूसिए मलाले मुहब्बत न पूछिये। 
अपनों से पेश आए हैं बेगानगी  से हम।
Don't ask about grief in consequence of love. 
I have treated my own, like strangers of late. 
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्त ए उमीद। लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम। 
Today I broke all relations with hope. 
I won't blame anyone about this state. 
उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले। 
गो दब गए हैं बारे ग़मे ज़िन्दगी से हम। 
Fervours of heart 'll spring once more. 
Though pressed are with life sorrows weight. 
गर ज़िन्दगी में मिल गए फिर इत्तेफ़ाक़ से। 
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम। 
If by chance, we confront again. 
From your inability, I ' ll ask my state. 
हम ग़मज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत। 
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िन्दगी से हम। 
I 'm deep in sorrows, wherefrom happy songs. 
Whatever life gave, was returned O mate. 
अल्लाह रे फ़रेबे मशिय्यत कि आज तक। दुनिया के ज़ुल्म सहते रहे ख़ामुशी से हम। I silently tolerated tyranny of world. 
What a divine deception it was till date. 


 

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