Thursday, 27 August 2020

SAHIR.. SONG.. CHALO IK BAR PHIR SE AJNABI BAN.....

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों।
्Let both of us become strangers again.
 न मैं तुम से कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की।
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से।
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों से। 
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से। 
Neither I should hope for a heartfelt deed. 
Nor your look with meaningful eyes should lead.
Neither talk should stagger beating of my heart. 
Nor eyes should reveal your tussle and smart. 
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेश क़दमी से। 
मुझे भी लोग कहते है कि ये जलवे
पराए हैं। 
मेरे हमराह भी रुस्वाइयाँ हैं मेरे माज़ी की। तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साए हैं।
Something holds you from stepping ahead. 
There's nothing in you for me they say. 
Stays with me my disgraced past. 
With you are shadows of nights passed away. 
तआरुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर। 
तआल्लुक़ बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा। 
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन। 
उसे इक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा। 
It's better to forget a contact that is disease. 
When relation turns burden, it's better to disheave. 
A story that can't be brought to an end. 
Giving a lovely twist, it is better to leave. 


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