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Saturday, 26 September 2020

रूमी व तम्स की रचनाओं का पद्यानुवाद... तीन

मित्र न शव पर आना, मुझ को कष्ट बहुत ही होगा।
हाथ बढ़ा कर, तेरे आँसू पोंछ न पाऊँगा मैं।

ऊपर वाले में दिखती है, अपनी ही परछाई। 
भय औ' निंदा मन में हैं, तो वैसा दे दिखलाई ।
अगर प्यार औ' करुणा हैं मन में, तो यही लगेगा ।
करुणामयी प्यार की सूरत ही देती दिखलाई।।

पथ केवल मन दिखला सकता, सच तक जो ले जाय। 
बुद्धि नहीं, केवल मन से ही सत्य सामने आय। 
अहंकार पर विजय मिलेगी, जब मन होगा बस में। 
करे स्वयं पर शासन जो, वो उस तक पहुँचे जाय।। 

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