Friday, 4 September 2020

IQBAL. GHAZAL.. AAH KISKI JUSTJU AWARA KARTI....

आह! किस की जुस्तजू आवारा करती है तुझे।
राह तू, रहरौ भी तू, रहबर भी तू, मंज़िल भी तू। 
Whose search has made a vagabond of you? 
Path, cotraveller, guide and goal are you. 
काँपता है दिल तेरा, अंदेश ए तूफ़ाँ से क्या? 
ना ख़ुदा तू, बहर तू, कश्ती भी तू, साहिल भी तू। 
Does your heart tremble with oncoming storm? 
Ship, shipman, stream and shore are you. 
वाए नादानी! कि तू मोहताज़े साक़ी हो गया। 
मय भी तू, मीना भी तू, साक़ी भी तू, महफ़िल भी तू। 
What a pity,that you are dependent on barmaid ! 
Drink, drinkpot, barmaid and gathering are you. 

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