Friday 13 November 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. QADAM JAMANA HAI AUR...b

क़दम जमाना है और साथ साथ चलना भी।
हम अपनी राह का पत्थर हैं और दरिया भी। 

I have to set feet, then walk their way.
I am alone on the path and stream in sway. 

बहुत ज़हीन ओ ज़माना शनास था लेकिन।
वो रात बच्चों की सूरत लिपट के रोया भी। 

He was intelligent and knew the world. 
At night, wept, clung child like as they say. 

ये ख़ुश्क शाख़ न सरसब्ज़ हो सकी उसने।
मुझे गले से लगाया पलक से चूमा भी। 

This dry twig could not turn green. 
Though he embraced and kissed his way. 

चिराग़ जलने से पहले हमें पहुँचना है। 
ढके हुए है पहाड़ों को आज कोहरा भी। 

We have to reach there before lamps are lit. 
Although there is fog on the hills today. 

हज़ारों मील का मंज़र है इस नगीने में। 
ज़रा सा आदमी दरिया है और सहरा भी। 

A view of thousand miles is in this gem.
A little man is stream and desert in play.

वही शरारा कि जिस से झुलस गई पलकें। सितारा बन के मिरी रात में वो चमका भी

It glowed like a star in my night too.
The ember which burnt eyelashes on way. 

असर वही हुआ आख़िर अगरचे पहले पहल। 
हवा का हाथ गुलों के बदन पे फिसला भी। 

Final effect was the same, though at start.
Wind hand over flower bodies
slid it's way.

उन्हें तो हिफ़्ज़ थे सब अपने लोग नाम बनाम। 
हमीं को याद न आया किसी का चेहरा भी। 

He remembered all his people by name.
I could not recall any face on the way . 

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