Tuesday, 8 December 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. AAS HOGI NA AASRA HOGA..

आस होगी न आसरा होगा।
आने वाले दिनों में क्या होगा?

Neither a hope nor guard for some. 
What 'll be there in times to come?

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन। 
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा। 

Some day I will forget you.
Time'll change the total sum.

नाम हमने लिखा था आँखों में। 
आँसुओं ने मिटा दिया होगा। 

I wrote my name in her eyes.
With tears what can be outcome.

कितना दुश्वार था सफ़र उस का। 
वो सरे शाम सो गया होगा। 

His travel must have been tough. 
Who slept before njght had come. 

पतझड़ों की कहानियाँ पढ़ना। 
सारा मंज़र किताब सा होगा। 

It will be a book scene. 
Just learn stories of autumn. 

 आसमाँ भर गया परिन्दों से।
पेड़ कोई हरा गिरा होगा। 

A green tree must have fallen. 
Sky has birds to fill vacuum. 

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