Tuesday, 19 January 2021

AZAM AMROHVI.. GHAZAL.. DIL KE HAR RAZ KO KARTI...

दिल के हर राज़ को करती हैं उजागर आँखें।
 जो ज़बाँ कह न सके कहती हैं अक्सर आँखें।

All secrets of heart are laid bold by eyes. 
What tongue can not tell is often told by eyes. 

वुसअत-ए-दश्त-वफ़ा तंगी-ए-दामान-ए-जुनूँ। 
देखती हैं दिले नाकाम का मंज़र आँखें ।

Large is canvas of faith, short frenzy hem. 
The glimpse of failed heart is on hold by eyes. 

हसरत दीद न रह जाए कहीं आँखों में। 
बस इसी ग़म में हुई जाती हैं पत्थर आँखें। 

Lest desire to see her should remain in eyes. 
This sorrow's turned stone cold by eyes.

देखिए कैसा निभाया है वफ़ा का रिश्ता। छोड़ आया हूँ उसी राहगुज़र पर आँखें। 

Look at the way I have dealt with faith. 
Oh that route is kept on hold by eyes. 

सर्द होने लगा तज़दीद वफ़ा का जज़्बा। 
क्यों नहीं बोलती मुझ से वो सितमगर आँखें?

Why don't these troubling eyes converse.?
Restoration of faith has grown cold by eyes. 

शे'र आज़म के हैं और हुस्न - ए-तग़ज़्ज़ुल उनका।
गुनगुनाते हैं जो पर्दे में छुपा कर आँखें।

In' Azam' 's couplets, lyrical beauty is her's.
She hums with view on veilhold by eyes. 

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