Friday, 26 February 2021

GHULAM MOHD. QAASIR GHAZAL.. BAGHAIR USKE AB AARAAM BHII NAHIIN AATAA

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता।
वो शख़्स जिस का मुझे नाम भी नहीं आता। 

Without him, peace is not within call.
The person whose name I can't recall. 

उसी की शक्ल मुझे चाँद में नज़र आए। 
वो माह-रुख़ जो लब- ए - बाम भी नहीं आता।

Her face I visualise within the moon. 
Moon face who doesn't on terrace stroll.

करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम। 
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता। 

What 'll I do with failure in love?
Well, I know no other work at all.

बिठा गया मुझे दरिया के उस किनारे पर। 
जिधर हुबाब तही- बाम भी नहीं आता।

He seated me on the side of river, where. 
Bubbles aren't seen in empty cup at all.

चुरा के ख़्वाब वो आँखों को रेहन रखता है। 
और उस के सर कोई इल्ज़ाम भी नहीं आता।

He pledges eyes after stealing the dreams. 
Yet none blames and he stands tall. 

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