Wednesday, 24 March 2021

करमा बाईसा...

मकराणा का जाट की बेटी करमा बाई सा नाम ।
मन में धार लियो मेरा तो धणी हो गया श्याम। 
मा बाबू था भगत रोज ठाकुर को भोग लगाता।
भजन कीर्तन भी करता लेकै ठाकुर को नाम। 
तेरा बरस की करमा थी मा बाप गया पुष्कर जी।
गाय भैंस नैं देख और नित भोग लगाए श्याम।

बाजरा को कर्यो  खीचड़ो घी अर गुड़ भी घाल्यो।
भोग लगाओ ठाकुर जी मैं कर ल्यूँ घर का काम। 
बीच बीच में आती तो थाली ऊइयाँ ई पाती। 
गुड़ घी कमती रहगो होसी खायो कोनी श्याम।
और गुड़ मिला घी भी  घाल्यो थाल पड़्योई रहगो। 
भूख लागरी करमा नैं पण पैल्याँ जीमैं श्याम ।
मैं बी भूखी ई रहस्यूँ जो थे ना भोग लगाओ। 
तू पर्दो ई कर्यो नहीं खावैंगा कय्याँ  श्याम? 
कह देता या बात सुभेर्यां  दोनूँ भूखा रहगा
कर्यो लूगड़ी को पर्दो परगट व्है जीम्या श्याम ।
रोज सुबेराँ करमा बाई बणा खीचड़ो घालै। 
करै लूगड़ी को परदो परगट व्है जीमैं श्याम ।
मा बाबू जद तीरथ करकै आया देख्यो गुड़ कम। 
करमा बोली मैं नहीं खायो खागा अपणा श्याम। 
परगट हो जद खाताँ देख्यो तो पैराँ में पड़गा। 
बेटी तू तो कर्यो बाप दादाँ को रोशन नाम।
बात फैलगी चारूँ कानीं जस बी फैलै लाग्यो। 
ऐंकै हाथ को खाण खीचड़ो रोज पधारैं श्याम ।
पुरी धाम का सब ही पुजारी सुण्यो हुया हैरान। 
बुलवायो करमा बाई नैं उनाँ पुरी कै धाम। 
कर्यो खीचड़ो ओट लूगड़ी की कर परस्यो थाल। 
परगट होकै जीम जूँठ कै चल्या गया फिर श्याम। 
प्रथम भोग ठाकुर जी नैं  करमा बाई को
खिचड़ो। 
जब तक जीई परगट होकै रोज जीमता श्याम। 
पुरी धाम मैं सात मूरती  पा़ँच श्याम परिवार। 
एक सुदर्शन चक्र एक करमा बाई सा नाम 
जगन्नाथ जी की रथयात्रा है दुनिया में मशहूर। 
करमा बाई सा  बी बैठ्याँ कनैं  बिराजैं श्याम ।
जब तक करमा बाई सा की मूरत रथ में नाँय। 
रथ हालै ना जोर लगा ल्यो दाब्याँ राखैं श्याम ।

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