Monday, 26 July 2021

BHARTENDU HARISHCHANDRA'RASA' ..6...... COUPLETS

ग़ाफ़िल इतना हुस्न पे ग़र्रा ध्यान किधर है तौबा कर।
आख़िर इक दिन सूरत ये भी मिट्टी में मिल जाएगी।

Why be proud of beauty, feel repentant and hurt.
Some day this face too will get mixed with dirt.

ये चार दिन के तमाशे हैं आह दुनिया के। 
रहा जहाँ में सिकंदर न और न जम बाक़ी

It's nothing but world on show of four days. 
Neither Alexander nor Jamshed lasted scene beyond plays. 

न बोसा लेने देते हैं न लगते हैं गले मेरे। 
अभी कम उम्र हैं हर बात पर मुझसे झिझकते हैं। 

Neither she embraces nor allows to kiss. 
She is so young, at each step gives a miss. 

किसी करवट नहीं चैन आता है उश्शाक़ को तेरे। 
तड़पते हैं फ़ुगाँ करते हैं और करवट बदलते हैं। 

Your lovers aren't at peace on any scale. 
They flutter, turn sides and then wail. 

छानी कहाँ न ख़ाक न पाया कहीं तुम्हें। 
मिट्टी मिरी ख़राब अबस दर-ब-दर हुई।

I  combed all the dust but didn't find you to say. 
For nothing my soil remains were littered every way.

रुख़-ए-रौशन पे उस की गेसू-ए-शब यूँ लटकते हैं।
क़यामत है मुसाफ़िर रास्ता दिन को भटकते हैं। 

From her shiny face night tresses hang down scale. 
What a doom that travellers during day lose trail. 

Sunday, 18 July 2021

KAIFI AZMI....3... COUPLETS

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं।
दो ग़ज़ ज़मीं भी चाहिए दो ग़ज़ कफ़न के बाद।

There's just no limit to the human desire.
Two yards of land after two yards attire ! 

बस्ती में अपनी हिंदू - मुसलमान बस गए।
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए।

Hindus and Muslims occupied our lane. 
We long to see a human face in vain. 

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई। 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई।

None comes in world to live for ever. 
The way you 've left, none goes, ever. 

Tuesday, 13 July 2021

WASEEM BARELVI.....2.. COUPLETS

ग़रीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं।
समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता !

Poor waves are kept under guard that sees. 
While no one cares to search  the seas. 

हम को महसूस किया जाए है ख़ुश्बू की तरह। 
हम कोई शोर नहीं हैं जो सुनाई देंगे ।

I am felt as fragrance when stirred. 
I am not noise that will be heard.


KRISHNA BIHARI NOOR....8. COUPLETS

काश ऐसा तालमेल सुकूत- ओ- सदा में हो।
उस को पुकारूँ मैं तो उसी को सुनाई दे। 

Let silence 'n sound have such rhythm pal !
That only he listens, when him I call !

  मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वुजूद तो है।
हुआ करे जो समंदर मिरी तलाश में है। 

I am a drop with an entity. of my own.
Let the  ocean be in my  search to own.

मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह। 
मैंने पत्थर की तरह ख़ुद को तराशा है बहुत। 

Witness are creases of my hand that state. 
I 've polished myself like a stone O mate.

मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मंज़ूर। 
मुझ को रहती ही नहीं अपनी ख़बर शाम के बाद।

I accept whatever someone tells about me. 
When evening sets in, I know nothing about me. 

यही मिलने का समय भी है बिछड़ने का भी।
मुझको लगता है बहुत अपने से डर शाम के बाद।

It is the time to meet and the time to part.
After eve' but for fear, I know nothing about me.

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा। 
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए। 

I recited the ghazal and stood aside, alone. 
Fancy for loved one in each had grown. 

गुज़रे जिधर जिधर से वो पलटे हुए नक़ाब। 
इक नूर की लकीर सी खिंचती चली गई। 

Route that she took with an upturned veil. 
A streak of light was drawn in it's trail. 

ग़म मेरे साथ साथ बहुत दूर तक गए। 
मुझ में थकन न पाई तो बेचारे थक गए। 

Sorrows had joined me on the route for long. 
As I wasn't exhausted, they rested for long.