Sunday, 18 July 2021

KAIFI AZMI....3... COUPLETS

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं।
दो ग़ज़ ज़मीं भी चाहिए दो ग़ज़ कफ़न के बाद।

There's just no limit to the human desire.
Two yards of land after two yards attire ! 

बस्ती में अपनी हिंदू - मुसलमान बस गए।
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए।

Hindus and Muslims occupied our lane. 
We long to see a human face in vain. 

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई। 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई।

None comes in world to live for ever. 
The way you 've left, none goes, ever. 

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