Tuesday, 28 September 2021

GHAZAL.. ABDUL HAMIID ADAM.. JAB TIRE NAIN MUSKURATE HAIN....

जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं।
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं। 

When  ever your eyes smile.
Life pain is gone for a while.

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर। 
भूल कर आ गए हैं, जाते हैं।

Why wrinkle your forehead ?
I 'm leaving, mis-stepped awhile.

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं। 
ना-ख़ुदा किस लिए डराते हैं ? 

Why instil fear boatman ? 
Ships just sink in a while. 

इक हसीं आँख के इशारे पर। 
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं। 

Caravans lose their tracks. 
With venomous wink in style. 

No comments:

Post a Comment