Sunday, 31 October 2021

रसख़ान.. एक दोहा

देखि सुदामा की दीन दसा करुणा कर के करुणानिधि रोए।
पानी प्रात को हाथ छुयो नहीं नैनन के जल सौं पग धोए। 

Looking at Sudama's poor state, the graceful Lord bestowed his grace.
Did not touch container water, washed his feet with tears from face. 

NASIR KAZMI.. GHAZAL.. DAF ATAN DIL MEN TIRI YAAD NE LII ANGDAAI....

दफ़'अतन दिल में तिरी याद ने ली अंगड़ाई।
इस ख़राबे में ये दीवार कहाँ से आई ?

Suddenly there was a memorial stretch in heart. 
Within these ruins, who could a wall cart ?

यूँ तो हर शख़्स अकेला है भरी दुनिया में। फिर भी हर दिल के मुक़द्दर में नहीं तन्हाई। 

It's true that each one is alone in world. 
To all, fate does not solitude impart.

बस यही दिल को  तवक़्क़ो सी है मुझ से वर्ना। 
जानता हूँ कि मुक़द्दर है मिरा तन्हाई।



Just that this heart has hope from me. 
I know that solitude is in my part.

रात भर जागते रहते हो भला क्यूँ 'नासिर'?
तुम ने ये दोलत-ए-बेदार कहाँ से पाई ?

Why are you awake night long O 'Nasir'?
Where from  unexpected wealth did you cart ? 

Saturday, 30 October 2021

RAJESH REDDY..6... COUPLETS

मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी। तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं।

I am a desert that longed for water suo motto. 
You are that cloud which never rained in toto. 

यूँ देखिए तो आँधी में बस इक शजर गिरा। 
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गिरा

It looks like uprooting of one tree in storm. 
Who knows, how many nests lost their form ?

ये सारे शहर में दहशत सी क्यों है ?
यक़ीनन कल कोई त्योहार होगा। 

Why is whole city abound with fear ? 
Surely a festival has drawn near. 

किसी दिन जिंदगानी में करिश्मा क्यों नहीं होता ? 
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यों नहीं होता ? 

 Why not in my life, does this miracle happen ? 
I wake up every day why do not  I liven ? 

मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा। 
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है। 

An innocent child in a silent corner of my heart. 
Seeing grown up world, is afraid of being it's part. 

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर आता हूँ मैं। 
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं। 

Empty handed in eve'when I enter home with a sigh. 
The children  smile and Ieave, while I silently die. 

Thursday, 28 October 2021

AHMAD FARAZ..10.. COUPLETS

अगर तुम्हारी अना का ही है सवाल तो फिर।
लो अपना हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिये। 

If it's a question of your ego, then well. 
I stretch my hand to break the spell. 

इस ज़िन्दगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब। 
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम। 

In this life, who can afford such a rest. 
Don't crowd memory to let me forget at best. 

सो देख कर तेरे रुख़सार-ओ-लब यक़ीं आया। 
कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी। 

 Viewing your lips 'n cheeks have made my resolve harden. 
That the flowers can also bloom away from the garden. 

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें। 
जैसे कुछ सूखे हुए फूल किताबों में मिलें। 
If we part now, towards  dreams we may look. 
Like dry, forgotten flowers found in a book. 

इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ। 
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ। 

Ere faithlessness becomes an art. 
O my friend ! Why don't we part ? 

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ। 
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। 

If now you dislike, come to give some pain. 
You come back to leave me once again. 

आँख से दूर न जा, दिल से उतर जाएगा। वक़्त का क्या है, गुज़रता है गुज़र जाएगा

Don't get out of sight, from heart you will go. 
That time has a habit to flow, it will flow. 

अब और क्या किसी से मरासिम निभाएँ हम। 
ये भी बहुत है, तुझ को अगर भूल जाएँ हम। 

Now what relation with anyone should I increase. 
It will be enough, if flow of your memories could cease. 

तेरी बातें ही सुनाने आए। 
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए। 

They made me listen to what you said. 
Friends too had some  more hurts fed. 

फिर उसी रहगुज़ार पर शायद। 
हम कभी मिल सकें मगर शायद। 

May be again, in that very lane. 
We may perhaps meet again. 

FAIZ.. GHAZAL.. GULON MEN RANG BHARE BAADE NAUBAHAR CHALE...

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले।
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले। 

Adding colour in flowers, blows new spring breeze. 
You come to set the garden business at ease 

क़फ़स उदास है, यारो सबा से कुछ तो कहो।
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले।

The prison is sad, pals! Just tell  the breeze.
For God's sake, talk about her, put it at ease.

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये ग़म ग़रीब सही। 
तुम्हारे नाम से आएँगे ग़मगुसार चले।

Relation of pain is great, poor may be the heart. 
In your name, the list of pain-sharers will increase.

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ।
हमारे अश्क तेरी आक़बत सँवार चले। 

Forget what I went through but O departure night !
My tears could finally mend your crease. 

मुकाम 'फ़ैज़' कोई राह में जँचा ही नहीं।
जो कू-ए-यार  से निकले तो सू-ए-दार चले।

 O 'Faiz' ! I liked no place on the way. 
From lover's lane to gallows was all that could please. 





 ! 

FAIZ AHMAD FAIZ...5.... COUPLETS

उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार - ए-अक़्ल रौशन है।
जो गाह गाह जुनूँ इख़्तियार करते रहे। 

Market of wisdom is alit with their grace. 
Who at sites could set frenzy  in place.

वीराँ है मयकदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं।
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के।

The tavern is deserted, winepot are sad. 
After you left, mood of spring is bad.

रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम। 
मौसम-ए-गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम।

Your dress of vibrant colours, your tress is name of fragrance
Your coming on roof top has season of spring as essence.

तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है।
तलाश में है सहर बार बार गुज़री है। 
You have not come, night of waiting exists. 
While the morning in it's search persists.

न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है। 
अजीब तरह से अब के बहार गुज़री है। 

Neither flowers bloomed, nor I met her, nor wine was glassed. 
A typically, in a strange way, this spring has passed. 

Wednesday, 27 October 2021

GHAZAL.. JAVED AKHTAR.. KABHI KABHI MEIN YE SOCHTA HOON KI MUJHKO

कभी कभी मैं ये सोचता हूँ कि मुझको तेरी तलाश क्यूँ है ? 
कि जब हैं सारे ही तार टूटे तो साज़ में इस्तेआश क्यूँ है?

At times I think so, why in your pursuit should be I ?
All wires have broken down, yet this instrument trembles, why?

अजब दोराहे पे ज़िन्दगी है, कभी हवस दिल को खींचती है।
कभी ये शर्मिंदगी है दिल में कि इतनी फ़िक्र - ए-म 'आश क्यूँ है ?

Life is on a two way lane, heart is pulled by the lust. 
At times, I am ashamed, why should survival worry remain ?

उठा के हाथों से तुम ने छोड़ा, चलो न दानिश्ता तुम ने तोड़ा।
अब उल्टा हम से तो ये न पूछो कि शीशा ये पाश पाश क्यूँ है ?

You picked in hand, let it fall, unwillingly, let us so call.
But then asking me O pal, why did mirror shatter at  all. 

अगर कोई पूछता ये हमसे, बताते गर हम तो क्या बताते ?
भला हो सबका कि ये न पूछा कि दिल पे ऐसी ख़राश क्यूँ है ?

If someone had asked me how, what to tell him then or  now?
I must thank not tp ask, about scratch on heart and why ?

न फ़िक्र कोई न जुस्तजू है, न ख़्वाब कोई
न आरज़ू है ?
ये शख़्स तो कब का मर चुका है तो बे  कफ़न फिर ये लाश क्यूँ है ?

There's no thought, no search, no desire in it's perch.
This man died long ago, no coffin still covers it, why ? 

रवि मौन..... हिन्दी ग़ज़ल

वही अमर हैं, खड़े रहे जो, विपदाओं से लड़ के।
वृक्ष वही फलते हैं, जिन ने दर्द सहे पतझड़ के।

बूँद नहीं पानी की कोई, यह विज्ञान सिखाता।
मोती बनता वही सीप में जो कण तन में रड़के।

मित्र तुम्हारे दर्द बाँट लूँ खुशियों में हूँ शामिल। 
रह  न जाय कोई भी काँटा, तेरे तन में गड़ के।

आँधी आए किसी दिशा से बाँस झूमते रहते। 
गिरते बूढ़े वृक्ष वही, जो फिर भी रहे अकड़ के।

'मौन' यही है एक प्रार्थना, जाऊँ चलते फिरते।
मृत्युदेव की राह न देखूँ, बिस्तर में सड़ सड़ के। 

रवि मौन.... एक कविता

मैं प्यार तो तुझे करता हूँ आज भी उतना।
ज़ुबाँ पे आ नहीं सकती मगर कहानी अब। 
न जाने क्यूँ मुझे उम्मीद है, पढ़ोगी तुम। 
हमारी प्यार भरी अनलिखी कहानी कब। 

रवि मौन.... एक कविता

कुछ भी तो नया नहीं लगता।
वो भोला सा शिशु का मुखड़ा। 
वो आँखें सोई सोई सी। 
उल्लासित हैं सब के चेहरे। 
माँ लगती खोई खोई सी। 
कुछ भी तो नया नहीं लगता। 
समझा था कोई क्रांति हुई।
 लगता है मुझको भ्रांति हुई। 

RAVI MAUN... TETRAD

ख़त लिखने की ख़ता हुई, मत दीजिए जवाब।
मैं हूँ मुरीद आप का, तोड़ें न मेरे ख़्वाब।
इस इश्क़ की किताब के हर एक वर्क़ पर।
आशिक़ से सारी उम्र ही माँगा गया हिसाब। 

RAVI MAUN..... COUPLET

देख कर, सब की नज़र, वो रात भर यूँ सह गई।
उरियाँ शम'अ, शर्म से महफ़िल में गड़ कर रह गई।

Oggling look of each crook, from every nook was there to blame. 
The naked flame, out of shame, simply melt to save her name. 

रवि मौन.... एक कविता

अलविदा ऐ दोस्तो ! ऐ साथियो !

जो लगा अच्छा, किया मन से वही।
प्रेयसी, कविता कहूँ या डाक्टरी।
साथ जीवन भर निभाया जो गहा। 
रहा गया कुछ काम दुःख इस का महा। 

राष्ट्रभाषा में मधुर जो गीत हैं। 
गाइए उन को रवि-संगीत में।
ज़िन्दगी की डोर टूटी बीच में। 
आख़िरी ये काम था ऐ साथियो। 
अलविदा ऐ दोस्तो ! ऐ  साथियो ! 

रवि मौन की मधुशाला

प्याला है या कटिप्रदेश है तेरा ये साकीबाला।
जितना भरमाने वाला है उतना तरसाने वाला। 
बड़े प्रेम से इसे पकड़ कर होंटों से छू लेने को। 
मद्यप प्रतिदिन ही आते हैं इस आशा में मधुशाला। 

रवि मौन की मधुशाला

जन्म दिया, पीड़ा को झेला, स्नेह-पाश में ले पाला।
मैं रोया तो कपड़े बदले, फिर से दूध पिला डाला।
चिर परिचित उर की धड़कन सुनवाई, जिस से सो जाऊँ।
माँ की समता कौन करेगा, कविता, मित्र न मधुशाला।। 

Tuesday, 26 October 2021

रवि मौन.... एक कविता

सेहरा ने सेहर डाल दिया आज दुल्हन पर।
हाँ कह ही दिया चेहरे पे डाली नहीं नज़र।

 मैं रिंद नहीं साक़ी के दामन की ख़ैर हो।
सब पी रहे हैं कुछ तो मुझे भी मिले अगर। 

सहर तक फूल मुरझाएँगे जो हैं सेज पर बिखरे। 
करेंगे गुफ़्तगू हीआज भी क्या आप यूँ शब भर। 

RAVI MAUN KI MADHUSHALA

भग्न हृदय है यह मानव का कह न इसे टूटा प्याला ।
अभी इसी को इंगित करते चली गई साकीबाला। 
कितने मतवालों ने इस से अपनी प्यास बुझाई थी। 
टूट गया यह फिर भी इस की ऋणी रहेगी मधुशाला ।

AKHTAR ANSAARI A TETRAD

इन आँसुओं को टपकने दिया न था मैंने।
कि ख़ाक में न मिलें मेरी आँख के तारे। 
मैं इन को ज़ब्त न करता अगर ख़बर होती
पहुँच के क़ल्ब में बन जाएँगे ये अंगारे।

I had not allowed these tears to fall. 
Lesr these stars should be lost in dust. 
Wouldn't hold these had I known. 
Would be cinders for heart  'n that too a must. 

MIR DARD 4 COUPLETS

रौंदे है नक़्श-ए-पा की तरह ख़ल्क़ याँ मुझे।
ऐ उम्र-ए-रफ़्ता छोड़ गई तू कहाँ मुझे ?

I have been crushed like footprint by world's rage.
Where have you left me O bygone age ?

दर्द - ए-दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को।
वर्ना ताअत के लिए कुछ कम न थे किर्र-ओ-बयाँ।

Man was created to bear the heart ache. 
Many were in paradise for prayer's sake.

यारब ये दिल है या कोई मेहमाँ सराय है ।
दिल रह गया कभी, कभी आराम रह गया।

O God ! Is it my heart or guesthouse on highway.
At different times, grief and pleasure stay.

शादी की औरग़म की है दुनिया में एक शक्ल। 
गुल को शगुफ़्ता दिल कहो या तुम शिकस्ता दिल।

Pleasure and pain look alike in the world mart.
A flower is heart in bloom or a gloomy heart. 

Monday, 25 October 2021

ZIA BEGHUM ZIA 1 COUPLET

मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक।
इस को बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब की? 

I am so downtrodden, dust goes places to tell in name. 
Why shaped him out of me 'n put my name to shame ? 

RAVISH SIDDIQII...5 COUPLETS

न अब सुकून है मेरा न इज़्तेराब मेरा। अजीब हाल हुआ है ऐ निगह-ए-यार मेरा।

Neither I am at peace nor unrest.
My lover has seen and put me to test.

ख़िज़ाँ के साथ बहुत दूर मुझको जाना है। न इंतिज़ार कर ऐ मौसम-ए-बहार मिरा।

I have to follow the autumn for a long  long way. 
Don't wait for me spring, that's all I need say.

बहुत बुलंद है दिल का मुक़ाम-ए-ख़ुद्दारी।
मगर शिकस्त का इम्कां नहीं तो कुछ भी नहीं। 

I keep at high level, self confidence of heart. 
Without a chance of failure, it's not my part. 

हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने में। 
किसे फ़िराक़ कहूँ और किसे विसाल कहूँ। 

There are  thousand ways of our meeting when we don't meet. 
But which  should I call parting and which one be labelled meet. 

Sunday, 24 October 2021

GHAZAL... RAJESH REDDY... JAANE KITNII UDAAN BAAQII HAI....

जाने कितनी उड़ान बाक़ी है।
इस परिंदे में जान बाक़ी है। 

Who knows how much flight is still left. 
It appears in this bird, life is still left. 

अब वो दुनिया अजीब लगती है।
जिस में अमन-ओ-अमान बाक़ी है।

That world is so strange to behold. 
Which has peace in it's folds still left.

सर क़लम होंगे कल यहाँ उन के। 
जिन के मुँह में ज़ुबान बाक़ी है। 

Tomorrow, those heads would be chopped. 
In whose mouths, tongues are still left. 

Sunday, 10 October 2021

ग़ज़ल..... रवि मौन

रूठने का हक़ तेरा हर काल में।
हम मना लेंगे मगर हर हाल में। 

डूबते सूरज की लाली है सनम। 
या हया के रंग तेरे गाल में। 

ज़िन्दगी को हर ख़ुशी मिल जाएगी।
क़ैद कर लो ज़ुल्फ़ के इस जाल में। 

एक हिरनी चौंक कर ख़ामोश है।
जाने क्या देखा है तेरी चाल में। 

आज होली है, हमें न सताइए।
याद आएगी बहुत हर साल में। 

पोंछ लो आँसू, विदाई दो हमें।
अब हवा भरने लगी है पाल में। 

आसमाँ पर चाँद है, धरती पे तुम।
फ़र्क कुछ लगता नहीं है माल में। 

आप जन नेता समझते हैं जिन्हें। 
भेड़िए हैं आदमी की खाल में। 

बैठिए अब 'मौन' बंसी डाल कर।
ख़ूबसूरत मछलियाँ हैं ताल में।