हम मना लेंगे मगर हर हाल में।
डूबते सूरज की लाली है सनम।
या हया के रंग तेरे गाल में।
ज़िन्दगी को हर ख़ुशी मिल जाएगी।
क़ैद कर लो ज़ुल्फ़ के इस जाल में।
एक हिरनी चौंक कर ख़ामोश है।
जाने क्या देखा है तेरी चाल में।
आज होली है, हमें न सताइए।
याद आएगी बहुत हर साल में।
पोंछ लो आँसू, विदाई दो हमें।
अब हवा भरने लगी है पाल में।
आसमाँ पर चाँद है, धरती पे तुम।
फ़र्क कुछ लगता नहीं है माल में।
आप जन नेता समझते हैं जिन्हें।
भेड़िए हैं आदमी की खाल में।
बैठिए अब 'मौन' बंसी डाल कर।
ख़ूबसूरत मछलियाँ हैं ताल में।
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