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Tuesday, 26 October 2021

रवि मौन.... एक कविता

सेहरा ने सेहर डाल दिया आज दुल्हन पर।
हाँ कह ही दिया चेहरे पे डाली नहीं नज़र।

 मैं रिंद नहीं साक़ी के दामन की ख़ैर हो।
सब पी रहे हैं कुछ तो मुझे भी मिले अगर। 

सहर तक फूल मुरझाएँगे जो हैं सेज पर बिखरे। 
करेंगे गुफ़्तगू हीआज भी क्या आप यूँ शब भर। 

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