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Tuesday, 2 November 2021

रवि मौन.... चतुष्पदी....

राजा के दरबार में होता था यह नित्य।
सुंदर तुम सम मात नहिं, कहा देख कर नृत्य।
अलवर का दरबार था, संत विवेकानंद।
सुन कर रोई नर्तकी, उर उमड़ा आनंद। 

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