Thursday, 11 November 2021

रवि मौन छोटी कविता

प्रेम मय संसार है।
विश्व का आधार है। 
धरा हो या हो गगन। 
बजता इसी का तार है। 

बाँसुरी घनश्याम की हो। 
राधिका के धाम की हो। 
धूल होगी गोपदों की। 
भक्ति कुछ अविराम सी हो।

धरा हो या हो गगन। 
बजता इसी का तार है। 
प्रेम मय संसार है।
विश्व का आधार है।

रवि मौन। 

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